मनुष्य की सोच से बहुत ऊपर है भगवान की देन

Saturday, Jun 25, 2022 - 01:25 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल जानने के लिए गांवों में घूम रहा था। घूमते-घूमते राजा के कुर्ते का बटन टूट गया। उसके सेवक तत्काल ही गांव के दर्जी को लेकर पहुंचे। दर्जी ने बहुत सलीके से कुर्ते का बटन लगा दिया। बटन लगाने के बाद दर्जी जाने लगा, तभी राजा ने पूछा कि बटन लगाने का क्या ईनाम दिया जाए। अब दर्जी सोचने लगा कि क्या मांगा जाए, क्योंकि बटन तो राजा का था, उसने तो सिर्फ अपना धागा प्रयोग किया था, इतने से काम का क्या ईनाम मांगा जाए।

दर्जी बोला, महाराज बहुत छोटा-सा काम था, यह तो मेरा सौभाग्य है कि मुझे आपकी सेवा का मौका मिला। राजा देखना चाहता था कि दर्जी उससे क्या मांगता है, क्योंकि वह इलाके का एकमात्र दर्जी है तो उसका व्यवहार आम लोगों से कैसा है। इस पर राजा ने जोर देकर पूछा कि क्या दिया जाए तो दर्जी सोच में पड़ गया।

दर्जी क्योंकि लालची नहीं था, इसलिए उसने राजा से कहा, महाराज जो आपकी इच्छा हो आप दे दीजिए। राजा को यह बात बहुत अच्छी लगी कि दर्जी ने जरा-सा भी लालच नहीं किया, नहीं तो वह अपनी मांग बता सकता था। दर्जी के धैर्य को देखते हुए राजा ने उसे अच्छा ईनाम देने का सोचा। राजा ने अपने मंत्री से कहा कि दर्जी को ईनाम में दो गांव दे दो। अब दर्जी सोचने लगा कि कहां तो वह कुछ भी नहीं चाह रहा था परन्तु उसे राजा ने दो गांवों का मालिक बना दिया।  इसी तरह जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ते हैं तो वह अपने हिसाब से देता है, जोकि मनुष्य की सोच से बहुत ज्यादा होता है।


 

Jyoti

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