Motivational Concept: ज्ञान की चरम स्थिति

Wednesday, May 25, 2022 - 11:18 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक महात्मा सुकरात से किसी ने पूछा कि ज्ञान की  चरम स्थिति क्या है? सुकरात ने तुरन्त जवाब दिया, ‘‘ज्ञान से मुक्ति।’’ जिज्ञासुगण उनका मुंह ताकने लगे। सुकरात ने उन्हें समझाया, ‘‘देखो, जब मैं युवा था तो सोचता था कि बहुत कुछ जानता हूं। जब मैं बूढ़ा हुआ तो और बहुत से व्यक्तियों, विषयों तथा व्यवस्थाओं को जाना तो ऐसा लगा कि मैं बहुत कम जानता हूं। इतना जानने को पड़ा है दुनिया में कि उसकी तुलना में मेरे पास जो है वह तो कुछ भी नहीं है। जैसे मैं एक विशाल समुद्र-तट पर बैठा हूं। मोती-माणिक समझकर जो लहरों से छीना या डुबकी लगाकर कमाया वह तो मात्र रेतकण अथवा कंकड़ पत्थर ही निकले। बहुत अल्प ज्ञान है मेरा, ऐसी सोच मेरी हो गई जब मैंने वृद्धावस्था में पैर रखा।’’

सुकरात ने देखा कि अब भी उसके वे शिष्य जो उसे महाज्ञानी समझते थे विश्वास और आश्चर्य से उसका मुंह ताक रहे हैं। उसने आगे कहा, ‘‘अब मैं मरने के करीब हूं। तब मैं जान गया हूं कि वह भी मेरा वहम था कि मैं कुछ थोड़ा तो जानता हूं। दरअसल मैं कुछ भी नहीं जानता। मैं घोर अज्ञानी हूं।’’

जिस दिन महात्मा सुकरात ने यह घोषणा की कि मैं घोर अज्ञानी हूं उसी दिन यूनानवासी अपने देवता के मंदिर में चले गए। देवता ने कहा, ‘‘जाओ और सुकरात से कहो कि वह दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञानी है।’’ वे लोग सुकरात को ऐसा ही बताने लगे। सुकरात बोला, ‘‘जवानी में यही बात बताते तो खुशी होती है, अब तो मैं घोर अज्ञानी हूं।’’ 
उन्होंने देवता को जाकर बताया कि हम सुकरात की बात मानें या तुम्हारी? 

देवता का प्रत्युत्तर था, ‘‘सुकरात की ही मानो, क्योंकि वह ज्ञानयुक्त है।’’

Jyoti

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