कोविड-19 में लॉकडाऊन ने लोगों को सिखाई ये सीख

Thursday, Sep 16, 2021 - 06:34 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
लॉकडाऊन ने लोगों को यह तो सिखा दिया कि जान है तो जहान है। अपनी जान की चिंता ने जहां दौड़ती-भागती दुनिया को रोक दिया वहां समाज के हर के लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं। बहुत कुछ सिखा दिया इस महामारी ने लेकिन जो लोग मजदूरी का काम करते हैं और रोज शाम को मिलने वाले दिहाड़ी के पैसों से ही उनके घरों के चूल्हे जलते हैं उनके लिए तो मुश्किलें और मुसीबतें बहुत ज्यादा परीक्षा ले रही हैं। बच्चों को अगर सुबह दो रोटी नसीब हो भी जाएं तो शाम का कुछ भरोसा नहीं कि थाली में रोटी होगी कि फाका होगा। 

ऐसे में मीरा भी जो खुद चार-पांच कोठियों में काम करती है और उसका घरवाला कहीं भी जहां काम चल रहा होता है, वहां ईंटें-रेत उठाने का काम करता है, दोनों की पगार को मिला कर इतना हो जाता है कि वे रूखी-सूखी खा लेते हैं और अपने दोनों बच्चों का सरकारी स्कूल की पढ़ाई का खर्चा पूरा कर लेते हैं। मीरा की बेटी जो शायद चौथी कक्षा में पढ़ती है, अब रोज उसके साथ काम पर आने लगी है। गर्मी में पसीने-पसीने होती है और भाग-भाग कर सारा काम करती है।

मीरा अपनी बेटी से, ‘‘चल तू जल्दी हाथ चला। ये पकड़ झाड़ू और पोछा अच्छे से लगाना। तब तक मैं बर्तन साफ कर लेती हूं।’’
‘‘जरा जल्दी काम कर फिर सरदार जी के घर भी जाना है। आज तो इधर ही 1 बज गया है।’’

मैंने मीरा को आवाज लगाई, ‘‘क्या बात है मीरा, तुम तो कह रही थी कि एक-दो दिन से तुम्हारी तबीयत खराब है तो ये काम करेगी। तुम तो इसको रोज लाने लगी।’’

‘‘क्या करूं भाभी, जब तक स्कूल नहीं लगते तब तक घर पर क्या करेगी। मेरे साथ काम करा देगी तो चार कोठियां और कर लेंगे। चार पैसे ज्यादा आ जाएंगे। जब तक घरवाले को काम नहीं मिलता, तब तक इसका सहारा हो जाएगा।’’

‘‘आज बेटे को भी किसी गैराज में लगवा कर आई हूं पता नही वहां टिकेगा कि नहीं...!’’

आगे से मैं निरुत्तर हो सोच में पड़ गई कि सरकार ने सब बच्चों की पढ़ाई का नुक्सान न हो उसके लिए ऑनलाइन क्लासें लगवा दीं लेकिन इन बच्चों का क्या जिनको ऑनलाइन पढ़ाई का मतलब ही नहीं पता।

इनके लिए तो लॉकडाऊन का मतलब है शायद स्कूल से छुट्टी और अपने माता-पिता के साथ काम करना ताकि पेट भरने के लिए चार पैसे ज्यादा आ जाएं बस।  -रीटा मक्कड़

Jyoti

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