Motivational Concept: स्वभाव में रखें विन्रमता

punjabkesari.in Thursday, Sep 16, 2021 - 12:11 PM (IST)

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गुजरात के राजकोट में काठियावाड़ राज्य प्रजा परिषद का अधिवेशन हो रहा था। बापू अन्य बड़े नेताओं के साथ मंच पर बैठे थे। तभी उनकी  निगाह दूर नीचे बैठे एक वृद्ध व्यक्ति पर पड़ी। उन्होंने तुरन्त इस वृद्ध को पहचान लिया। वह बापू के प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक थे।

बापू तुरन्त मंच से उतरकर उनके पास पहुंचे और चरण छूकर प्रणाम किया। फिर वे वहीं उनके पैरों के पास बैठ गए। शिक्षक भाव-विभोर हो गए और बोले, ‘‘अब आप बहुत बड़े नेता हैं। 

आपका यहां बैठना अच्छा नहीं लगता। अब आप ऊपर मंच पर चले जाइए।’’

बापू बोले, ‘‘आपके लिए तो मैं सदैव आपका शिष्य ही रहूंगा।’’ 

इसके बाद बापू पूरे कार्यक्रम में वहीं बैठे रहे। कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद शिक्षक ने बापू को आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘‘तुम जैसा विनम्र और अहंकार रहित व्यक्ति ही महान कहलाने का सच्चा अधिकारी है।’’


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Content Writer

Jyoti

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