शांति का जीवन चाहते हैं तो प्रेमपूर्वक करें दूसरों की सेवा

Wednesday, Sep 08, 2021 - 04:39 PM (IST)

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एक दिन चैतन्य महाप्रभु अपने अनेक शिष्यों के मध्य बैठे ईश्वर भक्ति और ज्ञान-ध्यान की बातें उन्हें सुना रहे थे।

एक शिष्य ने पूछा, ‘‘दूसरे को दुख देने वाले दुष्टों से भरे इस विश्व में हम कैसे सुख और शांति का जीवन व्यतीत कर सकते हैं? उनके प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए।’’

महाप्रभु शांत स्वर में बोले, ‘‘आपको एक वृक्ष की भांति रहना चाहिए। ध्यान रखें कि वृक्ष उन लोगों को भी छाया देता है जो उसकी शाखाओं को काटते हैं या उसे किसी भी तरह का कष्ट पहुंचाते हैं।’’

‘‘वह किसी से पानी नहीं मांगता। भले ही उसके बिना वह मुरझाता जा रहा हो। वर्षा, आंधी और सूर्य की झुलसाने वाली किरणों को भी सहन करता है इसलिए तुम धीरज और शांति से वृक्षों की तरह ही दूसरे की सेवा करो।’’

यह छोटी-सी कथा हमें दान-पुण्य का पावन संदेश देती है।

Jyoti

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