Motivational Concept: किसको जाता है हमारी सफलता-असफलता का श्रय?

Saturday, Jul 31, 2021 - 03:56 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अब्राहम लिंकन ने बहुत गरीब परिवार में जन्म लिया था। अत्यंत निर्धनता की स्थिति में भी उन्होंने किसी तरह मेहनत-मजदूरी करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की और कालांतर में अमरीका के राष्ट्रपति बने।

वह देश की जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे। लोग उनका काफी सम्मान करते थे। इतने ऊंचे पद पर पहुंचकर भी उनमें काफी विनम्रता थी, लेकिन उनके चेहरे पर हमेशा उदासी छाई रहती थी।

उत्सुकतावश एक महिला ने साहस करके उनसे इसका कारण पूछ ही लिया।लिंकन थोड़ी देर तो चुप रहे फिर गहरी सांस लेकर बोले, ‘‘कितना अच्छा होता कि आप मुझसे यह प्रश्र नहीं पूछतीं। जब मैं छोटा था तो मैं अपनी मां के स्नेह से वंचित हो गया। मेरी मां बहुत धर्मपरायण एवं संस्कारी थीं। यह मेरी मां की सीख थी कि पहले दूसरों के बारे में विचार करो, उसके बाद अपने बारे में सोचो। मैं आज तक उनके द्वारा दी गई शिक्षा का पालन करते आ रहा हूं।’’

‘‘आज मुझमें जो कुछ अच्छाई नजर आ रही है उसका सारा श्रेय केवल मेरी मां को जाता है। इतनी अच्छी मां को  बचपन में खोकर मैं आज तक उसे भुला नहीं पाया हूं और इसी कारण दुखी रहता हूं। लगता है मेरा यह दुख, मेरे जीवन के समाप्त होने के साथ ही जाएगा।’’

‘‘आप नहीं जानतीं कि अमरीका का सबसे सुखी समझा जाने वाला आदमी अंदर से कितना दुखी है?’’ 

लिंकन यह कहते-कहते बहुत भावुक हो गए और कुछ अधिक न बोल सके। उनकी बात सुनकर वह महिला भी भावुक हो गई और मन ही मन उनकी मां की प्रशंसा करते-करते उसकी आंखें भी नम हो गईं। —दीनदयाल मुरारका

Jyoti

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