हर किसी को अपने जीवन में अपनाने चाहिए ये गुण

punjabkesari.in Thursday, Jul 22, 2021 - 03:13 PM (IST)

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तक्षशिला नगरी में धौम्य नाम के ऋषि रहते थे। उनके तीन प्रधान शिष्य थे। आरुणि, उपमन्यु और वेद। इनमें से आरुणि बड़ा ही आज्ञाकारी शिष्य था। एक दिन की बात है। भयंकर बारिश हो रही थी। गुरु ने आरुणि को खेत पर मेड़ बांधने के लिए भेजा। गुरु की आज्ञा से आरुणि बारिश में भीगते हुए तुरन्त खेत पर गया।

वहां उसने देखा कि खेत की मेड़ एक स्थान पर टूट गई है और पानी बड़े जोर से बाहर जा रहा है। आरुणि ने वहां मिट्टी रखकर मेड़ बांधनी चाही परन्तु काफी प्रयत्न करने के बाद भी वह मेड़ न बना सका। जब वह मेड़ बांधने में असमर्थ हो गया तब उसे एक उपाय सूझा। वह मेड़ की जगह स्वयं लेट गया।

इससे पानी का बहाव रुक गया लेकिन काफी समय बीतने पर भी जब आरुणि वापस नहीं आया, तब ऋषि ने अपने शिष्यों से पूछा कि आरुणि कहां है?

शिष्यों ने कहा, ‘‘आपने ही तो उसे खेत की मेड़ बांधने के लिए भेजा था, तब से वह लौट कर नहीं आया।’’ आचार्य ने शिष्यों से कहा, ‘‘चलो हम लोग खेत पर चल कर देखें।’’ 

जब वे लोग खेत पर पहुंचे तो देखा आरुणि मेड़ के स्थान पर स्वयं लेटा हुआ है। गुरु के पूछने पर आरुणि ने बताया, ‘‘आचार्य खेत से जल बहा जा रहा था। जब मैं उसे किसी प्रकार नहीं रोक सका तो स्वयं ही मेड़ के स्थान पर लेट गया। आचार्य ने आरुणि को उठाकर हृदय से लगा लिया और कहा, ‘‘बेटा तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया है इसलिए तुम्हारा कल्याण होगा। सारे वेद और धर्मशास्त्र तुम्हें ज्ञात हो जाएं।’’

इस प्रकार आरुणि ने अपने गुरु की आज्ञा का पालन किया और  गुरु ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया। हमें भी अपने जीवन में आरुणि के गुणों को अपनाना चाहिए।


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Content Writer

Jyoti

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