जब आजाद़ चंद्रशेखर ने सूझ-बूझ से दिया था सिपाही को चकमा!

Friday, Jul 09, 2021 - 05:30 PM (IST)

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आजादी से पहले की बात है। उस समय चंद्रशेखर आजाद बनारस के संस्कृत विद्यापीठ में पढ़ते थे। आजाद की उम्र उस समय चौदह-पंद्रह साल की थी। असहयोग आंदोलन के बाद कांग्रेस ने एक नोटिस छपवाया जिसे पुलिस की नजरों से बचाकर पूरे देश में चिपकाना था। सुखदेव ने नोटिस की एक प्रति आजाद को देते हुए पूछा, ‘‘क्या इसे पुलिस कोतवाली के सामने बिजली के खम्भे पर चिपका सकते हो?’’

यह कौन-सी बड़ी बात है? 

ऐसा कहकर आजाद ने अपनी पीठ पर उस नोटिस को उल्टा चिपका लिया और सीधे उस अंग्रेज सिपाही के पास गए, जो खम्भे के पास ही खड़ा था। खम्भे की ओर पीठ करके आजाद उससे सटक कर खड़े हो गए और सिपाही से बातें करने लगे। उनकी पीठ खम्भे से लग रही थी, इस प्रकार उस पर नोटिस चिपक गया। फिर वे सिपाही को नमस्ते कहकर चले गए।

थोड़ी देर बाद आते जाते लोगों की निगाहें खम्भे पर चिपके नोटिस पर पड़ीं और उसे पढ़ने वालों की भीड़ लग गई। सिपाही यह देखकर हैरान रह गया कि उसके निरंतर वहां खड़े रहने के बावजूद कौन वह नोटिस चिपका गया। वह समझ पाता, आजाद इसके पहले ही वहां से बहुत दूर जा चुके थे। -रमेश जैन

Jyoti

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