Motivational Concept: शांति, सद्भावना व एकता के लिए जीवन समर्पित

Wednesday, May 12, 2021 - 03:43 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दीदी निर्मला देशपांडे ने शांति, सद्भावना व एकता के लिए आजीवन किया काम
महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे की अहिंसक क्रांति के विचार को आत्मसात करके उसे आगे बढ़ाने वाली दीदी निर्मला देशपांडे की 13वीं पुण्यतिथि पर उस समय अनोखा नजारा देखने को मिला, जब गांधी ग्लोबल फैमिली, निर्मला देशपांडे संस्थान तथा नित्यनूतन वार्ता के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन स्मृति सभा व संगोष्ठी में भारत के विभिन्न प्रदेशों के साथ-साथ नेपाल, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर सहित दुनिया के विभिन्न स्थानों में रह रहे उनके अनुयायियों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि भेंट की।

इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने बताया कि 17 अक्तूबर, 1929 को दीदी का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर में पुरुषोत्तम यशवंत देशपांडे व विमला बाई के घर में हुआ। घर में खुला वातावरण था, जिसमें देश भर की महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों का आना-जाना था और उनके साथ नन्ही निर्मला को संवाद के मौके मिलते थे। नागपुर से ही उन्होंने राजनीति विज्ञान में एम.ए. की पढ़ाई की और यहीं एक महाविद्यालय में प्राध्यापिका बन गर्ईं। समाज के कमजोर, दलित, वंचित, उत्पीड़ित तबकों व महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय और भेदभाव को देखकर उनका मन व्याकुल रहता था और वह अपनी सुख-सुविधाएं त्याग कर संत विनोबा भावे के पवनार स्थित आश्रम में आ गईं।

विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में उन्होंने 40 हजार किलो मीटर की पैदल यात्रा की। पूरी यात्रा में विनोबा भावे के प्रवचनों को उन्होंने ‘भूदान गंगा’ के नाम से कई खंडों में संकलित किया। भूदान आंदोलन आजाद भारत का अनोखा अहिंसक आंदोलन था, जिसके अंतर्गत 40 लाख एकड़ भूमि लोगों से दान में प्राप्त करके गरीबों और वंचितों में बांटी गई। विनोबा ने अपने गुरु महात्मा गांधी के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए शांति सेना का गठन किया था, जिसकी कमांडर उन्होंने निर्मला देशपांडे को नियुक्त किया। बाद में वह इंदौर स्थित शांति सेना विद्यालय की निर्देशिका बनीं।

निर्मला देशपांडे ने इंदिरा गांधी की मित्र व सचिव के रूप में कार्य किया। दीदी ने हरिजन सेवक संघ की अध्यक्षा के रूप में कार्य किया। अखिल भारतीय रचनात्मक समाज की स्थापना की। आतंकवाद से त्रस्त जम्मू-कश्मीर, 1984 में पंजाब, बिहार में नक्सलवाद और महाराष्ट्र में हिंसा के समय उन्होंने पदयात्राएं निकाल कर शांति का संदेश दिया। गुजरात में नरसंहार के दौरान वहां पहुंच कर पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाया।

दीदी निर्मला देशपांडे ने पाकिस्तान के साथ दोस्ती का प्रबल समर्थन किया। इंडो-पाक सोल्जर इनिशिएटिव फॉर पीस इन इंडिया एंड पाकिस्तान की स्थापना की। अनेक देशों में महिला शांति दल का नेतृत्व किया। उनके योगदान के लिए उन्हें राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार व पद्मविभूषण सम्मान प्रदान किया गया। पाकिस्तान सरकार द्वारा उन्हें लोकप्रिय सरकारी सम्मान सितारा-ए-इम्तियाज से नवाजा गया। 1997 से 2007 तक राज्यसभा की सदस्या के रूप में दीदी ने महत्वूपर्ण भूमिका निभाई। देश के राष्ट्रपति पद के लिए भी उनका नाम चलाया गया था। उन्होंने विनोबा भावे की जीवनी लिखकर साहित्य को अमूल्य देन दी। -अरुण कुमार कैहरबा

Jyoti

Advertising