Motivational Concept: कड़वे स्वभाव को बदलना ज़रूरी

Thursday, Mar 25, 2021 - 02:44 PM (IST)

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राजा भद्रसिंह प्रजापालक एवं न्यायप्रिय थे किंतु उनका पुत्र निर्दयी था। राजपुत्र होने के कारण उसकी शिकायत करने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता था लेकिन राजा तक यह बात पहुंच ही गई।

राजा ने उसे सुधारने के लिए अनेक उपाय किए परन्तु सुधर न सका। राजा बहुत ङ्क्षचतित हो चुके थे। सौभाग्य से कुछ दिन बाद औषधाचार्य नामक एक ऋषि वहां आ गए। राजा की समस्या को सुनकर राजपुत्र को रास्ते पर लाने का उन्होंने भरसक प्रयास किया किंतु परिणाम कुछ नहीं निकला।

एक दिन औषधाचार्य ऋषि उस राजपुत्र के साथ उद्यान में भ्रमण कर रहे थे, तभी उस बालक ने एक नन्हे पौधे से पत्तियां तोड़कर मुंह में डालकर चबानी शुरू कर दीं। पत्तियां बहुत कड़वी थीं। क्रोध में आकर उसने पौधे को जड़ से उखाड़ कर फैंक दिया। इस हरकत से ऋषि बहुत नाराज हुए और उसे डांटने लगे।

उद्दंड बालक बोला कि इसकी पत्तियों ने मेरा सारा मुख कड़वा कर दिया है इसीलिए मैंने उसे जड़ से उखाड़ कर फैंक दिया। गंभीर भाव से ऋषि बोले, ‘‘बेटा ध्यान रखो, यह तो औषधि का एक वृक्ष है। इसके पत्तों के अर्क से बनने वाली औषधि अनेक असाध्य रोगों को दूर करती है। इसकी कड़वाहट तुम्हें पसंद नहीं आई लेकिन तुमने अपने कड़वे स्वभाव के बारे में कभी सोचा? तुम्हारे पिता का प्रजा में अपयश हो रहा है।’’

ऋषि के शब्द उस उद्दंड बालक के हृदय को छू गए। उसी क्षण से उसके जीवन की दिशा बदल गई। अब वह अपने नीतिवान पिता का वास्तविक उत्तराधिकारी बनने लायक हो गया।

Jyoti

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