आप भी लेना चाहते हैं जीवन का आनंद तो ज़रूर पढ़ें ये प्रसंग

Tuesday, Oct 20, 2020 - 05:33 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
मुस्लिम संत तालमुद के यहां उनसे दुआ लेने वालों का तांता लगा रहता था। उनके विषय में दूर-दूर तक यह धारणा थी कि जिसे वह खुश होकर देख लेते हैं, उसका दुख दूर हो जाता है। याकूब नामक एक व्यक्ति अपने दुर्व्यसनी बेटों तथा पारिवारिक कलह  के कारण बहुत दुखी तथा चिंतित रहता था। वह कई बार आत्महत्या करने का प्रयास भी कर चुका था पर जैसे-तैसे हर बार बच जाता था। वह जीवन  से पूरी तरह निराश हो चुका था। 

याकूब ने सोचा यदि संत तालमुद की उस पर कृपा-दृष्टि पड़ जाए तो शायद उसके दुखों का अंत हो जाए। एक दिन याकूब खोजता-खोजता जंगल में संत के पास जा पहुंचा। उस समय संत एक झरने के किनारे बैठे हुए घास पर फुदक रही चिडिय़ों का दाना चुगा रहे थे। फुदकती चिडिय़ां उनके सिर व कंधों पर आ बैठतीं तो वह उन्हें हाथ में लेकर जोर से हंसते तथा नाचने लगते।

याकूब के मुरझाए चेहरे को देखते ही तालमुद समझ गए कि यह कोई दुखी व्यक्ति है। उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखा तथा बोले ‘इन मूक व निश्छल प्राणियों को दाना खिलाकर, इनकी संतुष्टि से जो असीम आनंद मिलता है वह फरेबी व मतलबी संतान को खुश रखने में जीवन खपा देने से कभी नहीं मिल सकता।’ याकूब इन वाक्यों का अर्थ समझ चुका था। उसी दिन से उसने अपने व्यसनी पुत्रों तथा पत्नी का मोह त्याग दिया तथा अपना जीवन अनाथ और बीमार बच्चों की सेवा में लगाने का संकल्प ले लिया। अब वह पूरी तरह तनावमुक्त होकर आनंद का जीवन जीने लगा था।—शिव कुमार गोयल 

Jyoti

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