आपके ईमानदारी बनाती है आपको कर्तव्यपरायण

Wednesday, Oct 07, 2020 - 06:49 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महान चिंतक पंडित दीनदयाल उपाध्याय प्रतिदिन अपने छोटे से ट्रांजिस्टर से समाचार सुनने के आदी थे। इस माध्यम से देश-विदेश के समाचार मिल जाते थे।

एक दिन वह अपने सहयोगियों के साथ कहीं बैठे हुए थे। समाचार प्रसारण का समय होते ही उन्होंने अपना ट्रांजिस्टर हाथ में लिया। जैसे ही उसे चालू करने वाले थे कि ठिठक गए तथा उसे एक ओर रख दिया।

एक सहयोगी से बोले, ‘‘अपने ट्रांजिस्टर से समाचार सुनवाइए।’’ 

 समाचार सुनने के बाद सहयोगी ने पूछा, ‘‘पंडित जी, आपका ट्रांजिस्टर भी काम कर रहा था, फिर आप उसे चालू करते-करते रुक क्यों गए?’’

उपाध्याय जी ने कहा, ‘‘भइया, मुझे याद आ गया था कि कल ट्रांजिस्टर का लाइसैंस शुल्क जमा कराने की आखिरी तिथि थी और मैं शुल्क जमा नहीं करवा पाया था। ऐसे में रेडियो का उपयोग अनैतिक था, इसीलिए मैंने उसका उपयोग नहीं किया।’’

सहयोगी सज्जन पंडित जी की नियम पालन के प्रति ईमानदारी देखकर हत्प्रभ रह गए।

—शिव कुमार गोयल

Jyoti

Advertising