Freedom में छिपी हर इंसान की खुशी

Tuesday, Apr 14, 2020 - 06:25 PM (IST)

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भारतवर्ष में सम्राट समुद्रगुप्त प्रतापी सम्राट हुए थे लेकिन चिंताओं से वह भी नहीं बच सके। वह चिंताओं के कारण परेशान रहने लगे। चिंताओं का चिंता करने के लिए वह एक दिन वन की ओर निकल पड़े।

वह रथ पर थे, तभी उन्हें एक बांसुरी की आवाज सुनाई दी। वह मीठी आवाज सुनकर उन्होंने सारथी से रथ धीमा करने को कहा और बांसुरी के स्वर के पीछे जाने का इशारा किया। कुछ दूर जाने पर समुद्रगुप्त ने देखा कि झरने और उनके पास मौजूद वृक्षों की आड़ में एक युवक बांसुरी बजा रहा था। पास ही उसकी भेड़ें घास खा रही थीं।

राजा ने कहा कि आप तो इस तरह प्रसन्न होकर बांसुरी बजा रहे हैं, जैसे कि आपको किसी देश का साम्राज्य मिल गया हो। युवक बोला, ‘‘श्रीमान आप दुआ करें। भगवान मुझे कोई साम्राज्य न दे क्योंकि मैं अभी ही सम्राट हूं। वहीं साम्राज्य मिलने पर कोई सम्राट नहीं होता बल्कि सेवक बन जाता है।’’

\युवक की बात सुनकर राजा हैरान रह गए। तब युवक ने कहा कि सच्चा सुख स्वतंत्रता में छिपा है। व्यक्ति संपत्ति से स्वतंत्र नहीं होता बल्कि भगवान का चिंतान करने से स्वतंत्र होता है। तब उसे किसी भी तरह की चिंता नहीं होती है। भगवान सूर्य जो किरणें सम्राट को देते हैं मुझे भी, जो जल उन्हें देते हैं मुझे भी। ऐसे में मुझमें और सम्राट में बस मात्र संपत्ति का ही फासला होता है। बाकी सब कुछ तो मेरे पास भी है। यह सुनकर युवक को राजा ने अपना परिचय दिया। युवक यह जान कर हैरान था लेकिन राजा की चिंता का समाधान करने पर राजा ने उसे सम्मानित किया।

कहानी का सार यह है कि चिंता, मानव मस्तिष्क का ऐसा विकार है जो पूरे मन को झकझोर कर रख देता है। अत:चिंता नहीं चिंतान कीजिए जिससे चिंताओं का निवारण स्वयं ही हो जाएगा।

Jyoti

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