भगवान को Thanks कहना भी है ज़रूरी वरना...

Monday, Apr 06, 2020 - 10:27 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर व्यक्ति खुश रहना चाहता है, दुखी रहना तो कोई नहीं चाहता। परंतु आज के समय में हमारी तमाम कोशिशों के बाद भी खुश रहना मुश्किल काम हो गया है। जब आप किसी बड़े-बुजुर्ग का चरण स्पर्श करते हैं तो वे आशीष रूप में आपसे 'खुश रहो' कहते हैं। आप भी अपने से छोटे को आशीष देते हुए 'खुश रहो' कहते हैं। परंतु हर व्यक्ति उदास है, चाहे वह सफल हो, चाहे संघर्षरत, चाहे युवा हो या वृद्ध, स्वस्थ हो या अस्वस्थ। प्रत्येक व्यक्ति के पास 'काश' के अपने-अपने कारण हैं, जिन्हें उचित मानते हुए वह नाखुश रहता है और अंत में डिप्रैशन के भंवर में उलझ जाता है, जहां से वह अकेले नहीं निकल सकता। ऐसे में उसे एक उच्च शक्ति के सहयोग की आवश्यकता होती है जो उसे इस उदासी के भंवर से बाहर निकाले। इस उच्च शक्ति को गुरु कहा गया है। 

उदासी की चरम अवस्था आपके जीवन में खुशियां अनुभव करने की क्षमता कम कर देती है। न तो आपको स्वादिष्ट भोजन में आनंद आता है और न ही छुट्टियों में। मन का कोई कोना हमेशा ही सूना रहेगा, मानो उसमें अनुभवों को अनुभूत करने की क्षमता ही नहीं और इस हाल में जीवन के सारे रंग बेरंग हो जाते हैं। अगर आप खुश नहीं हैं तो इसका अर्थ है कि आप नाराज हैं उन सभी परिस्थितियों से जिन पर आपका जोर नहीं है। परिस्थितियों से जो आपकी रंजिश है उसने आपको दुखी किया है परंतु आप उसे बदलने की पहल नहीं कर रहे हैं। खुशियों को ढूंढना पड़ता है। 
अगर आप उसे अपने जीवन में नहीं ढूंढ पा रहे हैं तो किसी अन्य व्यक्ति की खुशी का कारण बनें, इस प्रक्रिया में आप भी प्रसन्न हो जाएंगे। किसी अन्य व्यक्ति को आप खुशी देंगे तो उसी समय आपको भी बहुत अच्छा लगेगा। सबसे जरूरी बात कि हमेशा ईश्वर के प्रति शुक्रगुजार रहें। इस कार्य में गुरु आपको प्रोत्साहित करेंगे, परंतु श्रद्धा एवं विश्वास तो आपमें होनी चाहिए। गुरु कहते हैं, खुश रहने के लिए दो बातें जानना ज़रूरी है-पहला आप उस परिस्थिति को बदलने की पहल करें जो आपको दुखी कर रही है और दूसरा, अगर परिस्थिति को बदलना असंभव है तो उसके साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश करें।

Jyoti

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