सोच-विचार करके बोलेंगे तो कम होगी गलती की संभावना

Sunday, Mar 15, 2020 - 06:08 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार स्वामी विवेकानंद अपने प्रवचन में ईश्वर के नाम की महत्ता बता रहे थे। उनके ईद-गिर्द अनेक भक्तजन थे। सभी ध्यान से उनकी बातों को सुन रहे थे। तभी एक व्यक्ति बोला, "स्वामी जी आप बार-बार कह रहे हैं कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है, हमें अच्छे और कर्णप्रिय शब्द बोलने चाहिएं। ऐसे शब्द साक्षात ईश्वर तक पहुंचते हैं और व्यक्ति के अंतर्मन को सुख व शांति प्रदान करते हैं। आप बताएं कि शब्दों में क्या रखा है? यदि हम अच्छे शब्द नहीं बोलेंगे तो क्या ईश्वर नाराज हो जाएंगे?"

स्वामी जी बोले, "ईश्वर तो दूर की बात है। अपशब्दों के प्रयोग से तो मनुष्य भी नाराज हो जाता है।" 

वह व्यक्ति बोला, 'मैं इस बात को नहीं मानता।"

इस पर स्वामी जी उस व्यक्ति से बोले, "आप अत्यंत मूर्ख, जाहिल, गंवार और बेवकूफ व्यक्ति हैं। आप से बड़ा मूर्ख व्यक्ति शायद ही इस पृथ्वी पर हो। आप को तो किसी भी काम की समझ नहीं है। आपका जीवन व्यर्थ है।" 

स्वामी जी के मुंह से अचानक निकले ऐसे शब्द सुनकर वह व्यक्ति हैरान रह गया। वह दुखी स्वर में उनसे बोला, "आप स्वयं को स्वामी कहते हैं और ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं।" 

स्वामी जी बोले, 'मैंने तो सिर्फ तुम्हारे प्रश्न का जवाब दिया है। तुम कह रहे थे कि शब्दों में भला क्या रखा है? फिर इन शब्दों से तुम्हें इतना आघात क्यों पहुंचा?"

स्वामी जी का जवाब सुनते ही उसे अपनी भूल का अहसास हो गया। उसने क्षमा मांगते हुए कहा, "स्वामी जी आप सही कहते हैं। शब्दों का बहुत महत्व है। इनका चयन सोच-समझ कर करना चाहिए।" 

स्वामी जी बोले, "शब्दों की अहमियत हमेशा याद रखनी चाहिए। बिना सोचे-समझे बोले गए शब्द व्यक्ति को असंतुलित कर देते हैं। इसके विपरीत सोच-समझ कर बोले गए शब्द हमारे आसपास के माहौल को सकारात्मक बनाए रखते हैं।"

Jyoti

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