सफलता पाने के हैं इच्छुक, तो मन में आज ही थान लें ये संकल्प

Monday, Apr 22, 2019 - 05:38 PM (IST)

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शास्त्रों में 3 प्रकार की शक्तियों का उल्लेख किया जाता है। इच्छाशक्ति, संकल्प शक्ति और एकाग्रता की शक्ति। ये 3 शक्तियां कम या ज्यादा मात्रा में हर व्यक्ति के पास होती हैं। कोई भी इन 3 शक्तियों से हीन नहीं है लेकिन सवाल इन्हें जागृत करने का है। जिसने संकल्प शक्ति जगा ली सचमुच वह अजेय बन सकता है। व्यक्ति समाज और राष्ट्र को जागृत करने के लिए संकल्प ही बड़ा आधार है। संकल्प सो गया तो राष्ट्र भी सोया रह जाता है इसलिए संकल्प की दृढ़ता का प्रयोग सफल एवं सार्थक जीवन के लिए नितांत अपेक्षित है। 

कुछ लोग संकल्प लेने से घबराते हैं। उन्हें यह ज्ञान ही नहीं कि संकल्प के बिना किसी का विकास नहीं हो सकता। उपनिषद में कहा गया है-संकल्पजा सृष्टि। किसी भी सृष्टि के कोई नया निर्माण हुआ है तो संकल्प के द्वारा हुआ है। आप नया मकान बनवाते हैं, नई फैक्टरी बनाते हैं तो इसके पीछे आपका दीर्घकालिक चिंतन होता है। चिंतन के बाद उसके लिए संकल्पित होते हैं, तब कहीं जाकर वह संकल्प यथार्थ का आकार लेता है जिसके मस्तिष्क में कल्पना नहीं, संकल्प नहीं वह मंजिल को नहीं पा सकता। जहां स्वीकृत संकल्पों का पालन नहीं होता, फॉलोअप नहीं होता, वहां चारित्रिक न्यूनता आती है, शिथिलता आती है, व्यक्ति कमजोर होता जाता है। 


श्रम, संकल्प और सफलता इन तीनों की एक युति है। श्रम के साथ संकल्प हो तो सफलता सुनिश्चित हो जाती है। इसमें प्रोत्साहन का भी बड़ा योग होता है। दूसरों के द्वारा और विशेषकर मार्गदर्शक की ओर से अगर प्रोत्साहन न मिले तो संकल्प के प्रति रुचि यथावत नहीं रह पाती और सफलता भी संदिग्ध हो जाती है। पुरुषार्थ के साथ विवेक हो तो संकल्प फलवान बनता है लेकिन यह जानना जरूरी है कि संकल्प प्रारम्भ में गीली मिट्टी का लोंदा होता है। उसे घड़ा बनाकर तुरंत उसमें पानी नहीं भरा जा सकता। पानी तभी उसमें टिकेगा जब घड़ा आंच में पक जाएगा। जीवन की कठिन परिस्थितियां उस आंच का काम करती हैं जिसमें पक कर घड़ा पानी को धारण करने और उसे शीतल करने की क्षमता हासिल करता है। 
इस दौरान हमें संकल्प को दृढ़ करना होता है। संकल्प का मूल्यांकन करें तो वह जीवन में बड़े बदलाव लाएगा। जीवन को अनूठा एवं विलक्षण बनाने के लिए हमें शस्त्र नहीं, संकल्प चाहिए। इसी से

Jyoti

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