Motivational Concept: गरीबों के संरक्षक ईश्वर चंद्र विद्यासागर

Thursday, Dec 01, 2022 - 06:01 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार ईश्वर चंद्र विद्यासागर के घर के दरवाजे पर सुबह के समय एक भिखारी आया। इस भिखारी को हाथ फैलाए देख उनके मन में दया का भाव उत्पन्न हुआ। वह घर के अंदर जाकर अपनी मां से कहने लगे कि उस भिखारी को कुछ दे दो लेकिन उनकी मां के पास उस समय कुछ नहीं था, केवल उनके हाथों में  पहने हुए कंगन के सिवाय। अपने बेटे की बात सुनकर, उनकी मां ने अपना कंगन उतार कर ईश्वर चंद्र के हाथ में रख कर कहा कि इसे बेचकर तुम जरूरतमंदों की सहायता कर दो। यह देखकर ईश्वर चंद्र थोड़ा झिझके लेकिन इस पर उनकी मां ने कहा कि जब तुम बड़े हो जाओगे तब मेरे लिए दूसरा कंगन बनवा देना।

ईश्वर चंद्र जब कमाने लायक हुए तो उन्होंने अपनी पहली कमाई से मां के लिए कंगन बनवाए। उन्होंने इन कंगन को अपनी मां को देते हुए कहा, मां आज मैंने तुम्हारा कर्ज उतार दिया। इस पर उनकी मां ने कहा, मेरा कर्ज तो उस दिन उतर पाएगा बेटा, जिस दिन किसी और जरूरतमंद के लिए मुझे ये कंगन फिर कभी नहीं उतारने पड़ेंगे।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

अपनी मां की यह बात ईश्वर चंद्र के दिल को छू गई और उन्होंने अपना जीवन गरीब और दुखी लोगों की सेवा करने में लगा दिया। ईश्वर चंद्र विद्यासागर को गरीबों और दलितों के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने नारी शिक्षा और विधवा विवाह कानून के लिए आवाज उठाई थी। ईश्वर चंद्र एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। संस्कृत भाषा और दर्शन में अच्छा ज्ञान होने के कारण विद्यार्थी जीवन में ही संस्कृत कॉलेज ने उन्हें ‘विद्यासागर’ की उपाधि प्रदान की थी, जिसके बाद से उनको ईश्वर चंद्र विद्यासागर के नाम से जाना जाता रहा।

Jyoti

Advertising