Motivational Concept: बेकार की चीजें न करें इकट्ठा

Saturday, Aug 20, 2022 - 11:33 AM (IST)

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देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने में महात्मा गांधी का अद्भुत योगदान था। एक बार महात्मा गांधी पानी के जहाज पर यात्रा कर रहे थे। उस यात्रा में एक अंग्रेज यात्री भी था जो गांधी जी से नाराज था। उसने अपशब्दों से भरा एक पत्र गांधी जी को लिखा और सोचा कि जब मैं इसे गांधी को दूंगा तो वह नाराज होंगे, झल्लाएंगे, क्रोध करेंगे और भी क्या-क्या कहेंगे यह देखूंगा।

गांधी जी के पास पत्र पहुंचा। पत्र खोला, सरसरी निगाह से उन्होंने पत्र देखा, पढ़ा, फिर उसमें लगी आलपिन निकाली, उसे जेब में रखा और कागज पानी में फैंक दिया? गांधी जी के सहायक ने जब यह देखा तो उससे पूछे बिना न रहा गया कि उन्होंने पिन तो निकाल ली और पत्र क्यों फैंक दिया।

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गांधी जी ने कहा-उसमें पिन ही काम की चीज थी जो मैंने रख ली। बाकी सब बेकार की बातें थीं, जो मैंने फैंक दीं। काम की बात हो तो उसे स्वीकार लो और बेकार की बातों को अस्वीकार कर दें। गांधी जी की बात सुनकर उस अंग्रेज की निगाहें शर्म से नीची हो गईं। उसने उठ कर गांधी से माफी मांगी। इसी तरह जिनके मन में प्रेम और शांति की धारा बहा करती है वे ही लोग कलह, कटुता और विरोध का वातावरण बनने पर भी उसे प्रेम और क्षमा से जीत लिया करते हैं। —आचार्य ज्ञानचंद्र
 

Jyoti

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