Motivational Concept: समझें मन की चाले, नहीं छलेंगे अंधेरे

Thursday, Jul 14, 2022 - 12:12 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Motiovational Story:
किसी गांव में एक मां-बेटी रहती थीं। बेटी जवान हो रही थी, लेकिन उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। विधवा वृद्धा मां इसी चिंता में दुबली होती जा रही थी। जवान बेटी घर से बाहर जाती तो मां उसकी चौकसी करती। बेटी को मां की चौकीदारी नापसंद थी। संयोग की बात कि दोनों को नींद में चलने और बड़बड़ाने की आदत थी। उस रात दोनों नींद में उठ गईं। सड़क पर चलने लगीं। मां नींद में लड़की को गालियां दे रही है, ‘‘इसके कारण मेरा जीना हराम हो गया है।’’ सड़क के दूसरी तरफ उसकी लड़की भी नींद में चली जा रही थी। वह बड़बड़ा रही थी, ‘‘यह दुष्ट बुढ़िया मेरा पीछा छोड़ती ही नहीं। जब तक यह जीवित है, मेरा जीवन नर्क है।’’ वे दोनों नींद में चल रही थीं। तभी मुर्गे ने बांग दी। बूढ़ी मां ने अपनी बेटी को देखा।

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वह प्यार भरे स्वर में बोली, ‘‘आज इतनी जल्दी उठ गई। कहीं सर्दी न लग जाए।’’ बेटी ने मां को देखा। झुककर उसके पैर छू लिए। मां ने  बेटी को गले से लगा लिया। बेटी उलाहने के स्वर में बोली, ‘‘मां कितनी बार कहा कि इतने सुबह न उठा करो। मैं पानी भर दूंगी। घर साफ कर दूंगी। तुम बूढ़ी हो, बीमार पड़ गई तो क्या होगा?’’
मां-बेटी नींद में क्या कह रही हैं। नींद से जागने पर क्या कह रही हैं। नींद तो झूठ है, सपना भी झूठ है। नींद में चलना रोग है। बात एकदम उलटी है, वे जो नींद में कह रही थीं वही सच था। जो जागने पर कह रही थीं, वह एकदम झूठ है। मन में गहरी दबी बातें भी नींद में बाहर आ जाती हैं। इसी तरह सज्जन व्यक्ति सुप्तावस्था में वही करते हैं जो दुर्जन लोग जागृत अवस्था में किया करते हैं।

Jyoti

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