जीवन की मुश्किलों का सामना करना है एक बार ये ज़रूर पढ़ें

Monday, Nov 30, 2020 - 11:42 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सर्दी के दिनों में अंगीठी सुलगाने के प्रयास में दो छोटे बच्चों ने मिट्टी के तेल के स्थान पर पैट्रोल डाल दिया, आग भड़की। एक तो तत्काल मर गया। दूसरा महीनों अस्पताल में रहने के बाद, कुरूप और अपंग हो गया। दोनों पैर लकड़ी की तरह सूख गए। पहिएदार कुर्सी के सहारे घर लौटा तो किसी को आशा न थी कि वह कभी चल सकेगा।

पर लड़के ने हिम्मत नहीं छोड़ी और आजीवन संघर्ष जारी रखा। आज की तुलना में अधिक अच्छी स्थिति प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयत्न करता रहा। निराश या खिन्न होने के स्थान पर उसने प्रतिकूलता को चुनौती के रूप में लिया और उसे अनुकूलता में बदलने के लिए अपने कौशल और पौरूष को दांव पर लगाता रहा। उसने वैसाखी के सहारे न केवल चलने में वरन दौड़ने में भी सफलता पाई और पुरस्कार जीते। इस विपन्नता के बीच भी उसने पढ़ाई जारी रखी। एम.ए. पी.-एचडी उत्तीर्ण की और विश्वविद्यालय में निदेशक के पद पर आसीन हुआ।

द्वितीय विश्वयुद्ध में वह मोर्चे पर भी गया और जहां अड़ा वहीं सफल भी रहा। रिटायर होने पर उसने अपनी जमापूंजी से अपंगों को स्वावलम्बन देने वाला एक आश्रम खोला, जिसमें इन दिनों पंद्रह हजार अपंगों को पढ़ने रहने और कमाने का प्रबंध है। अमरीका के इस संकल्पवान साहसी ग्लेन कङ्क्षनघम का नाम बड़ी श्रद्धापूर्वक लिया जाता है। कठिनाइयों से जूझने के लिए उसका जीवन वृत्तांत पढ़ने-सुनने का परामर्श दिया जाता है।

Jyoti

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