इस प्रेरक प्रसंग से जानें ईमानदारी का सुफल

Tuesday, Sep 08, 2020 - 05:41 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महात्मा रामलाल के सत्संग के कारण एक धनिक व्यक्ति ने व्यापार में पूर्ण ईमानदारी बरतने का संकल्प लिया। एक ईमानदार व्यापारी के रूप में उसकी ख्याति फैलती गई। कुछ ही वर्षों में उसने अपने उद्यम एवं ईमानदारी के बल पर करोड़ों रुपए का लाभ अर्जित किया।

एक दिन उद्योगपति महात्मा रामलाल जी के पास पहुंचा। उनके समक्ष एक लाख रुपए के नोट प्रस्तुत कर बोला, ‘‘महाराज आपके सत्संग तथा ईमानदारी की प्रेरणा के कारण ही मैंने व्यापार में सफलता पाई है। मैं यह छोटी-सी धनराशि आपके चरणों में कृतज्ञता ज्ञापन के रूप में अॢपत करने आया हूं।’’ 

संत जी बोले, ‘‘भइया तुम्हारे मेरे संबंध सांसारिक नहीं पारमाॢथक थे। मैंने तुम्हें व्यापार में ईमानदारी बरतने की प्रेरणा इस लोक में धन कमाने के उद्देश्य से नहीं दी थी। मैंने ईमानदारी बरतकर मानव जीवन सफल करने तथा परलोक में अच्छा स्थान प्राप्त करने की दृष्टि से तुम्हें उपदेश दिया था। मैं तुम्हारे धन को लेकर क्या करूंगा। इसे वापस ले जाओ। किसी अनाथ या बीमार की सेवा-सहायता में इस धन का उपयोग कर लेना।’’


धनिक सज्जन संत जी की विरक्तता के समक्ष नतमस्तक हो उठे।      —शिव कुमार गोयल

Jyoti

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