संभव है आपके संघर्ष की समाप्ति, जानें कैसे

Friday, Jul 03, 2020 - 08:50 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक समय की बात है। एक गांव में बूढ़ी मां और उसका बेटा एक झोंपड़ी में रहते थे। वे बहुत गरीब थे। एक बार मां ने अपने बेटे को मिठाई के दो टुकड़े देकर छोटा टुकड़ा साथी को देने हेतु और बड़ा टुकड़ा स्वयं खाने हेतु कहा। बालक ‘हां’ कह कर साथी के पास गया और उसे बड़ा टुकड़ा देकर छोटा स्वयं खाने लगा। 

मां दूर से यह दृश्य देख रही थी। उसने बाद में पुत्र से पूछा, ‘‘पुत्र! तूने बड़ा टुकड़ा उसे देकर छोटा स्वयं क्यों खाया? मैंने तो तुझे साथी को छोटा टुकड़ा देने और स्वयं बड़ा टुकड़ा खाने हेतु कहा था।’’

बालक बोला, ‘‘मां! दूसरों को अधिक देने और स्वयं कम खाने में मुझे अधिक आनंद आता है।’’ 

उसके इस कथन पर मां अपने पुत्र को देखती रही और विचार करने लगी कि सचमुच यही मानवीय आदर्श है और इसी से विश्व शांति की सारी संभावनाएं निर्भर हैं। मनुष्य अपने लिए कम चाहे और दूसरों को अधिक देने का प्रयत्न करे तो समस्त संघर्षों की समाप्ति संभव है।

Jyoti

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