Mother''s Day: विलक्षण मांएं जो अपने बच्चों के लिए किसी भी हद को पार कर जाती हैं

Sunday, May 10, 2020 - 07:13 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Mother's Day: जीव जगत असामान्य अभिभावकों से भरपूर है। यहां यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि केवल मनष्य ही ऐसे नहीं हैं, जो अपने शिशुओं की सुरक्षा तथा पालन-पोषण के लिए असामान्य कदम उठाते हैं, जीव जगत में भी ऐसी मांओं की कोई कमी नहीं, जो अपने शिशुओं को यह सिखाने के लिए कि भोजन कैसे प्राप्त करना है और कैसे खुद को अन्य परभक्षियों से बचाना है, समय लगाती हैं। यहां हम उन विलक्षण जानवर मांओं पर नजर डालते हैं, जो अपने बच्चों के लिए किसी भी हद को पार कर जाती हैं।
 


ओरांगुटान
ओरांगुटान मां तथा तथा उसके शावक के बीच संबंध प्रकृति में सबसे मजबूत में से एक होता है। जीवन के पहले 2 वर्षों के दौरान, शावक भोजन तथा इधर-उधर जाने के लिए पूरी तरह से अपनी मां पर निर्भर होता है। मां 6 से 7 वर्षों के लिए अपने शावक के साथ रहती है, उसे सिखाती है कि कहां भोजन ढूंढना है, क्या और कैसे खाना है और सोने के लिए पेड़ों पर अपना बसेरा कैसे बनाना है।

मादा ओरांगुटान तब तक अपनी मां से मिलने आती रहती हैं जब तक कि वे 15 या 16 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंच जातीं।
 

ध्रुवीय भालू
चौकस ध्रुवीय भालू मांएं आमतौर पर जुड़वां शावकों को जन्म देती हैं, जो ठंडी जलवायु में जीने के लिए आवश्यक कौशल सीखने हेतु लगभग 2 वर्षों तक उससे जुड़े रहते हैं। मां बर्फ में गहरा गड्ढा खोद कर मांद बनाती है, ताकि अन्य मांसभक्षी जानवरों से उनकी रक्षा कर सके। वह आमतौर पर नवम्बर तथा जनवरी के बीच अपने शावकों को जन्म देती है और अपने शरीर की गर्मी व दूध से उनको गर्म रखती है। शिकार करना सीखने से पहले, बाहरी तापमान के अभ्यस्त होने के लिए शावक मार्च-अप्रैल में मांद से बाहर आ जाते हैं।


अफ्रीकी हाथी
जब अफ्रीकी हाथियों की बात आती है तो अपने शावक का मार्गदर्शन करने वाली मां अकेली नहीं होती। हाथी एक मातृसत्तात्मक समाज में रहते हैं, अत: समाज की अन्य मादाएं शावक को आपने पांवों पर खड़ा होने तथा देखभाल करना सिखाती हैं। बड़ी उम्र के हाथी झुंड की रफ्तार तय करते हैं, ताकि नन्हा शावक उनके साथ डग भर सके। व्यस्कों को देख कर शावक सीखता है कि कौन-सा पौधा खाना है और उस तक कैसे पहुंचना है। मादाएं नियमित रूप से शावक के साथ दुलार भरा संपर्क बनाती रहती हैं।


चीता
चीता मांएं अपने शावकों को एकांत में पालती हैं। चीता मां अपने बच्चों, जो आमतौर पर 2 से 6 होते हैं, को प्रत्येक 4 दिन बाद एक से दूसरी जगह स्थानांतरित करती रहती है, ताकि उनकी गंध जमा न हो पाए और अन्य शिकारी जानवर आसानी से उन्हें ढूंढ न सकेंं। शिकारी के तौर पर 18 महीनों के प्रशिक्षण के बाद, चीता शावक अंतत: अपनी मां को छोड़ देते हैं। फिर शावक अपने अन्य भाई-बहनों के साथ एक समूह बनाते हैं तथा और 6 महीनों के लिए एक साथ रहते हैं।


एम्परर पेंगुइन
एक अंडा देने के बाद, मां एम्परर पेंगुइन उसे नर के हवाले कर देती है, जो उसके कड़े, मगर टूट सकने वाले खोल की रक्षा करता है। इसके बाद मछली पकड़ने हेतु सागर तक पहुंचने के लिए मांएं 50 मील तक का सफर तय करती हैं। बाद में वे अंडा देने वाली जगह पर लौटती हैं और अंडों से निकले अपने नवजात चूजों के लिए भोजन का वमन करती हैं। अपनी खुद की बच्चा थैली का इस्तेमाल करते हुए, मां चूजे को गर्म तथा सुरक्षित रखती है।
 
 
 

Niyati Bhandari

Advertising