Mokshada Ekadashi 2020: यहां जानें क्या है मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, विधि व कथा

Thursday, Dec 24, 2020 - 05:41 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको ये तो बता ही चुके हैं कि 25 दिसंबर को इस साल की आखिरी एकादशी मनाई जाएगी। इसके साथ ही आपको इस बार में भी जानकारी दे दी है कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही गीताज जंयती का भी पर्व मनाया जाता है। इस दिन देश भर के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार के आयोजन आदि करवाे जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगहन मास में आने वाली इस एकादशी का व्रत करने से आशय मोह का नाश होता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो चलिए आपको बताते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त तथा पूजन विधि व धार्मिक कथा- 

मोक्षदा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 25 दिसंबर को देर रात 1 बजकर 54 मिनट तक

एकादशी व्रत विधि-
प्रत्येक एकादशी की तरह प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानदि से निवृत होकर सबसे पहले घर के साथ-साथ घर में स्थित पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। 
ध्यान रहे इस दौरान घर में गंगाजल का छिड़काव ज़रूर करें। 
इसके बाद भगवान विष्णु को शुद्ध व नए वस्त्र भेंट करें। 
रोली और अक्षत से उनका तिलक करें, तथा पीले फूलों से उनका श्रृंगार करें। 

भोग में इन्हें केले, अन्य फल खासतौर पर मेवे का प्रसाद अर्पित करें। 
पूजा संपन्न होने के बाद पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश की आरती का गुणगान करें, तथा इसके बाद देवी लक्ष्मी तथा श्री हरि की आरती करें। 
श्री हरि के पूजन में तुलसी के पत्ते ज़रूर शामिल करें। 

मोक्षदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा- 
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में गोकुल नामक एक नगर हुआ करता था, जहां वैखानस राजा का राज्य था। एक दिन उन्हें स्वप्न आया जिसमें उन्होंने देखा कि उनके पिता नरक में दुख भोगते हुए उनसे अपने उद्धार की याचना कर रहे हैं। राजा अपने पिता की ऐसी अवस्था को देखकर व्याकुल हो उठे, और प्रातः उन्होंने अपनी सभा के सभी ब्राह्माणों को बुलाकर अपने इस सपने के बारे में बताया। स्वप्न सुनने के बाद ब्राह्माणों ने कहा कि हे राजन! आपके राज्यसे कुछ दूरी पर एक ऋषि का आश्रम है, जिन्हें वर्तमान, भत, भविष्य के ज्ञाता कहा जाता है। आप उन्ही पर्वत नामक नामक ऋषि के अपने पिता के उद्धार का उपाय जान सकते।

ब्राह्माणों उनके बताए अनुसार उनके पास चले गए। पर्वत मुनि ने राजा की सारी बात सुनने के बाद उन्हें कहा हे राजन! पर्वजन्मों के बुरे कर्मों की वजह से आपके पिता को नर्कवास हुआ है और वहां नर्क भोगना पड़ रहा है। उन्हें मोक्ष दिलावाने के लिए अब आपको मोक्षदा एकादशी का व्रत करना होगा। राजा ने उनके बताए अनुसार ये व्रत किया, ब्राह्माणों को भोजन करवाया, दान दक्षिण देकर नए वस्त्र देकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस व्रत के शुभ प्रभाव से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। 
 

Jyoti

Advertising