Amavasya Shraddha: इस विधि से करें अमावस्या श्राद्ध, पितृगण आशीर्वाद देकर जाएंगे अपने धाम

Thursday, Sep 17, 2020 - 06:52 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Amavasya Shraddha 2020: वैदिक धर्म में माता-पिता की सेवा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। शास्त्र तो यहां तक कहते हैं की देवकार्य से भी बड़ा पितृकार्य है। पौराणिक मतानुसार भी माता-पिता को ईश्वर से श्रेष्ठ माना गया है। कालांतर में इसका उल्लेख भगवान गणेश व भगवान स्कंद के बीच हुए प्रतियोगिता में मिलता है। जहां एक तरफ स्कंद संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके भी हार जाते हैं और दूसरी तरफ गणेश जी मात्र देवी पार्वती और भगवान शंकर अर्थात मात-पिता की प्रदक्षिणा करके जीत जाते हैं। शास्त्र कहते हैं जो लोग जीवित माता-पिता की सेवा नहीं करते, वो माता-पिता के देहांत के बाद घोर कष्ट पाते हैं। अतः वंशजों का यह कर्तव्य है की वे अपने पूर्वजों के निमित्त शास्त्रोक्त कर्म करें, जिससे उन मृत पूर्वजों की आत्माओं को परलोक या अन्य योनियों में सुख प्राप्त हो।

श्राद्ध विधि: शास्त्रनुसार सर्वपितृ अमावस्या को 16 ब्राह्मणों के भोज का मत है। घर की दक्षिण दिशा में सफ़ेद वस्त्र पर पितृ यंत्र स्थापित कर उनके निमित, तिल के तेल का दीप व सुगंधित धूप करें। चंदन व तिल मिले जल से तर्पण दें। तुलसी पत्र समर्पित करें।

कुशासन पर बैठाकर गीता के 16वें अध्याय का पाठ करें। इसके उपरांत ब्राह्मणों को खीर, पूड़ी, सब्ज़ी, कढ़ी, भात, मावे के मिष्ठान, लौंग-ईलाची व मिश्री अर्पित करें। यथाशक्ति वस्त्र-दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।

इस दिन रात्रि में पितृ अपने लोक जाते है। पितृ को विदा करते समय उन्हे रास्ता दिखाने हेतु दीपदान किया जाता है। अतः सूर्यास्त के बाद घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल के 16 दीप करें। इस विधि से पितृगण सुखपूर्वक आशीर्वाद देकर अपने धाम जाते हैं।

Niyati Bhandari

Advertising