Meenakshi Amman Temple: अद्भुत शिल्प कला का नमूना विश्व प्रसिद्ध ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर’

Tuesday, Mar 26, 2024 - 09:24 AM (IST)

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Meenakshi Sundareswarar Temple: आदिशक्ति जगदम्बा ने अपनी ही योगमाया द्वारा स्वयं को जला कर मानव मात्र के कल्याण हेतु अपने शरीर के टुकड़े भारतीय उपमहाद्वीप में 52 स्थानों पर गिराकर अपने शक्तिपीठों को उत्पन्न किया। इनमें से दक्षिण भारत में तमिलनाडु प्रांत के शहर मदुराई में स्थित मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर एक विश्व विख्यात धार्मिक स्थल है। वास्तव में इस मंदिर की भवन निर्माण कला तथा शिल्प कला प्राचीन भारत की समृद्ध विरासत का एक मुंह बोलता उदाहरण है, जो इसे देखने वाले व्यक्ति को स्तब्ध कर देता है।

Meenakshi temple architecture अनेक अनूठी मूर्तियां
इसके अलावा यहां भगवान शिव की नटराज के रूप में बड़ी मूर्ति चांदी के आसन पर विराजमान है, जिसकी विशेषता है कि इसमें भगवान की नृत्य मुद्रा बाएं पांव पर न होकर दाएं पांव पर है।

Meenakshi amman temple history चारों दिशाओं से चार प्रवेश द्वार
द्रविड़ शैली में निर्मित भगवान शिव तथा माता पावर्ती को समर्पित यह मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। इस अनूठे मंदिर के चारों दिशाओं से चार प्रवेश द्वार ही इसकी असीम भव्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। प्रत्येक मंदिरनुमा प्रवेश द्वार की 9 मंजिलें हैं, जो 170 फुट तक ऊंची हैं। इसके अलावा 14 सुंदर मीनार इस मंदिर की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं। हर द्वार पर अनेकों मूर्तियां पत्थरों को काट कर बनाई हैं जो दक्षिण भारत की विशिष्ट मूर्ति कला शैली का मुंह बोलता उदाहरण है। 45 एकड़ में फैले इस विशाल मंदिर के मुख्य मंदिर में प्रवेश द्वार पर श्री गणेश जी की एक विशाल मूर्ति है जो एक ही पत्थर को काट कर बनाई गई है। यह दक्षिण भारत की विशिष्ट मूर्तिकला शैली का मुंह बोलता उदाहरण है।

Story of Meenakshi sundareswarar marriage मंदिर का इतिहास
कथानुसार प्राचीन काल में हजारों वर्ष पूर्व इस मदुरै शहर, जो रोम, मिस्र तथा एथैंस का समकालीन शहर है, में पांडेय वंश का शासन था। उस समय राजा मलाया दवाजा पांडेय ने पार्वती माता की अत्यधिक तपस्या करके उनसे यह वरदान मांगा कि वे उनके घर कन्या रूप में जन्म लें तथा कुछ समय बाद उसके घर मीनाक्षी नामक एक अत्यंत तेजस्वी, रूपवान तथा पराक्रमी बेटी ने जन्म लिया।

कलाओं में कुशलता के चलते सारे राज्य का प्रशासन उसे सौंप दिया गया। इतनी गुणसम्पन्न रानी के योग्य कोई वर न होने के कारण अंत में उनका विवाह उनके आराध्य देव भगवान शिव से होना तय हुआ।

जब भगवान विष्णु देवी मीनाक्षी को अपनी बहन स्वीकार कर उसका कन्यादान करने वैकुंठ से आ रहे थे तो देवराज इंद्र ने ईर्ष्या वश एक मायाजाल रचकर विष्णु जी को भ्रमित करने का प्रयास किया और इसी कारण विष्णु के कन्यादान के समय पर न पहुंचने के कारण एक स्थानीय देवता ‘कुठाल अजहाग’ द्वारा कन्यादान की रस्म निभाने से विष्णु ने दोबारा उस क्षेत्र में आगमन से इंकार कर दिया।

बाद में उन्हें अपने साथ हुए इंद्र के छल का आभास हुआ तो उन्होंने मदुरै में ‘अजहागर पिरुविजा’ के रूप में जन्म लिया और आज भी मीनाक्षी मंदिर में यह पर्व शान से मनाया जाता है। इसके अलावा यहां नवरात्र, मक्कर भास तथा सावन महीने में विशेष अर्चना की जाती है।

Special features of meenakshi temple तालाब में सोने का कमल
मंदिर प्रांगण में 165 और 120 फुट का तालाब है जिसमें लगभग मानव आकार का सोने का कमल का फूल आकर्षण का केंद्र है। मुख्य मंदिर को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यहां बिना किसी कृत्रिम रोशनी के सारा दिन मात्र सूर्य कि किरणों से ही उजाला रहे। जैसे-जैसे धरती सूर्य की परिक्रमा करती जाती है, उसी अनुपात में खुले रखे गए स्थानों से धूप मंदिर में प्रवेश करती है।

Sri Meenakshi Sundareswarar Temple 985 स्तम्भों वाला हॉल
इस मंदिर का एक और आकर्षण 985 स्तम्भों अथवा खम्भों वाला हाल है। हर खम्भे पर हाथ ठोकने से उसमें से अलग-अलग सुरों की सरगम की आवाज निकलती है।

How old is the Meenakshi Temple आक्रमणकारियों का बना निशाना
भारत के अन्य मंदिरों की तरह यह मंदिर भी विदेशी आक्रमणकारियों का निशाना बना तथा 1310 ई. में मलिक काफूर द्वारा इसका विध्वंस कर दिया गया परंतु 16वीं सदी में नायक शासनकाल में फिर इस मंदिर का जीर्णोद्धार करके और भी आलीशान बना कर वर्तमान स्वरूप में स्थापित किया गया।

मीनाक्षी मंदिर अपनी भव्यता के कारण विदेशी पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र है तथा इसके पास ही प्रसिद्ध कन्याकुमारी तथा श्री रामेश्वर मंदिर होने से क्षेत्र के पर्यटन को मजबूत आधार मिलता है।

Niyati Bhandari

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