हजरत मूसा ने गडरिए से जाना सच्ची इबादत का अर्थ

Monday, Nov 04, 2019 - 09:30 AM (IST)

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हजरत मूसा एक बार जंगल में कहीं जा रहे थे कि उनको एक गडरिया दिखाई दिया। वह प्रार्थना कर रहा था, ''ऐ खुदा, मुझे अगर तेरा दीदार हो जाए तो मैं तेरी खूब सेवा करूंगा। तेरे शरीर की मालिश करूंगा, तुझे अच्छी तरह से नहलाऊंगा। तू अगर बीमार पड़ेगा तो तेरी खूब दवा-दारू करूंगा और तुझे चंगा करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ूंगा। मेरे अच्छे खुदा, मैं ङ्क्षजदगीभर तेरा गुलाम बनकर रहूंगा और तेरे ऊपर अपनी जान कुर्बान कर दूंगा।

हजरत गडरिए की इस अजीब प्रार्थना को सुनकर हैरत में पड़ गए। मालिक से कोई इस तरह की प्रार्थना कर सकता है, यह उन्होंने सोचा भी नहीं था। दूसरा गडरिया जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहा था उससे खुदा के बारे में आम विश्वास भी आहत हो रहा था। हजरत को इससे बहुत बुरा लगा। उन्होंने गडरिए को समझाने के ख्याल से पूछ लिया, ''मूर्ख! यह तू किससे बात कर रहा है? और किसकी सेवा की मंशा करने की इच्छा जाहिर कर रहा है?

''खुदा की, और उनसे ही मैं बात कर रहा था। भोले गडरिए ने जवाब दिया। इस पर मूसा ने उसको डांटते हुए कहा, ''अरे बेवकूफ खुदा भी कभी बीमार पड़ता है? वह तो अशरीरी, अजन्मा है और सब जगह मौजूद है। उसको भला तेरी सेवा की क्या जरूरत है? उसकी रहमत से तो सभी चंगे होते हैं तू उसकी क्या खिदमत करेगा?

गडरिया चुपचाप रह गया और उसने मूसा से माफी मांगी और उनसे प्रार्थना की विधि सीखकर उसी तरह से इबादत शुरू कर दी। रात को जब मूसा प्रार्थना करने लगे तो एक आवाज आई, ''मैंने तुझे लोगों का ध्यान मुझमें लगाने के लिए धरती पर भेजा था लेकिन ऐसा न कर तू उनको मुझसे दूर करने में लगा हुआ है। तूने गडरिए को मुझसे दूर ले जाना चाहा। यह तेरा एक अपराध है। क्या तुझे मालूम नहीं कि सच्चे मन से मुझे याद करना और दिल खोलकर रख देना ही सच्ची इबादत है?

Lata

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