जानें, मौनी अमावस्या की पौराणिक कथा

Monday, Feb 04, 2019 - 02:42 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा(video)
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है और माघ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़नी वाली अमावस्या भी बहुत विशेष होती है जोकि 04 फरवरी 2019 यानि आज है और इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार सोमवार के दिन ये अमावस्या पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रहने का विधान बताया गया है। कहा जाता है जो व्यक्ति बिना स्वार्थ के इस दिन दान करता है उस पर भोलेनाथ और भगवान विष्णु दोनों की कृपा बनी रहती है। कहते हैं जो कोई भी आज के दिन व्रत करता है और इसकी कथा को पड़ता या सुनता है उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। तो चलिए जानते हैं अमावस्या की पौराणिक कथा के बारे में।

पुराणों के अनुसार कांचीपुरी में एक ब्राह्मण रहता था। जिसका नाम देवस्वामी व पत्नी का नाम धनवती था। उनके सात पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री का नाम गुणवती था। ब्राह्मण ने अपने सातों पुत्रों को विवाह करके बेटी के लिए वर खोजने को अपने सबसे बड़े पुत्र को भेजा। उसी समय किसी पंडित ने पुत्री की जन्मकुंडली देखी और बताया कि सप्तपदी (सात वचन) होते-होते यह कन्या विधवा हो जाएगी। तब उस ब्राह्मण ने पंडित से पूछा कि मेरी पुत्री के इस दोष का निवारण कैसे होगा? तब पंडित ने उन्हें कहा कि अगर आपकी पुत्री सोमा का पूजन करगी तो इसका ये दोष दूर हो जाएगा। सोमा के बारे में जानकारी देते हुए पंडित ने कहा कि वे एक धोबिन है जोकि सिंहल द्वीप पर निवास करती है और उसे जैसे-तैसे प्रसन्न करो और गुणवती के विवाह से पूर्व उसे यहां बुला लो।

ये सब सुनकर देवस्वामी ने अपने सबसे छोटे लड़के को बहन के साथ सिहंल द्वीप जाने के लिए सागर तट पर जाने के लिए कहा। सागर को पार करने की चिंता में दोनों एक वृक्ष की छाया में बैठ गए। उसी पेड़ पर एक घोंसले में गिद्ध का परिवार रहता था। उस समय घोंसले में सिर्फ गिद्ध के बच्चे थे। गिद्ध के बच्चे भाई-बहन के क्रिया-कलापों को देख रहे थे। सायंकाल के समय उन बच्चों (गिद्ध के बच्चों) की मां आई तो उन्होंने भोजन नहीं किया। तो वे अपनी मां से बोले कि नीचे दो प्राणी सुबह से भूखे-प्यासे बैठे हैं। जब तक वे कुछ नहीं खा लेते, तब तक हम भी कुछ नहीं खाएंगे। तब दया और ममता से वशीभूत गिद्ध माता उनके पास आई और बोली कि मैंने आपकी इच्छाओं को जान लिया है। इस वन में जो भी फल-फूल या कंद-मूल मिलेगा, मैं ले आती हूं और उसी से आप दोनों अपना पेट भर लेना। उसके बाद सुबह होते ही आपको सागर पार करा कर सिंहल द्वीप की सीमा के पास पहुंचा दूंगी। सुबह होते ही उन दोनों ने गिद्ध की मदद से सोमा के यहां जा पहुंचे। 

वहां पहुंचने के बाद उन दोनों ने देखा कि सोमा रोज सुबह नदी किनारे स्नान के लिए जाया करती है। इसी बीच लड़की ने अपना नियम बना लिया था कि वे सोमा के बाहर जाने के बाद घर की साफ-सफाई कर दिया करेगी जिससे कि सोमा खुश हो जाएगी। सोमा घर को साफ देखकर सोचती कि मेरे पीछे पता नहीं कौन आता है जो घर को साफ सुथरा करके चला जाता है।

एक दिन सोमा ने अपनी बहुओं से पूछा कि हमारे घर कौन बुहारता है, कौन लीपता-पोतता है? सबने कहा हमारे सिवाय और कौन बाहर से इस काम को करने कौन आएगा? किंतु सोमा को उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। एक दिन उसने इस बात पता लगाने के लिए सुबह स्नान पर जाने की बजाए अपनी झोपड़ी के बाहर खड़ी होकर द्खने लगी कि आखिर कौन मारे पीछे से मेरे घर में आता है। थोड़े समय बाद सोमा ने सब कुछ जान लिया और उन दोनों बहन-भाई से वार्तालाप करने पर सारी बात का पता चला।

सोमा ने उनकी श्रम-साधना तथा सेवा से प्रसन्न होकर उचित समय पर उनके घर पहुंचने का वचन देकर कन्या के वैधव्य दोष निवारण का आश्वासन दे दिया। मगर भाई ने उससे अपने साथ चलने का आग्रह किया। भाई के इतना करहने पर सोमा उनके साथ चल दी। चलते समय सोमा ने बहुओं से कहा कि मेरी अनुपस्थिति में यदि किसी का देहांत हो जाए तो उसके शरीर को नष्ट मत करना, मेरा इंतजार करना। इतना कहकर सोमा इन दोनों के साथ कांचीपुरी पहुंच गई।

कुछ दिनों बाद गुणवती के विवाह का कार्यक्रम तय हो गया। सप्तपदी होते ही उसका पति मर गया। सोमा ने तुरंत अपने संचित पुण्यों का फल गुणवती को प्रदान कर दिया। तुरंत ही उसका पति जीवित हो उठा। सोमा उन्हें आशीर्वाद देकर अपने घर चली गई। उधर गुणवती को पुण्य-फल देने से सोमा के पुत्र, जामाता और पति की मृत्यु हो गई। सोमा ने पुण्य फल संचित करने के लिए मार्ग में अश्वत्थ (पीपल) वृक्ष की छाया में विष्णुजी का पूजन करके 108 परिक्रमाएं की। इसके पूर्ण होने पर उसके परिवार के मृतक लोग जीवित हो उठे। निष्काम भाव से सेवा का फल मधुर होता है, यही मौनी अमावस्या के व्रत का उद्देश्य है। 
31 जनवरी को है षटतिला एकादशी, जानें, उससे जुड़ी अनोखी जानकारी(video)

Lata

Advertising