मौनी अमावस्या: 5 फरवरी तक बना रहेगा ये दुर्लभ संयोग

Monday, Feb 04, 2019 - 12:32 PM (IST)

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ये बात तो सब जानते ही हैं कि प्रयाग राज में कुंभ मेले का आयोजन चल रहा है और जहां रोज़ाना करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते हैं। कहा जता है कि कुंभ का ये स्नान जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाता है। कुंभ का दूसरा प्रमुख शाही स्नान 04 फरवरी 2019 आज यानि मौनी अमावस्या को है। इस बार सोमवार के दिन ये अमावस्या पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार सोमवती व मौनी अमावस्या पर महोदय योग बन रहा है। यह दुर्लभ योग 71 वर्ष बाद कुंभ के दौरान बन रहा है। शास्त्रों में कहा गया है कि 'अश्वमेध सहस्त्राणि बाजपेय शतामिव, लक्षम्‌ प्रदक्षिणा भूमे कुंभे स्नानेति तत्फलम' अर्थात कुंभ स्नान करने वाले धर्म प्राण जनमानस को एक हजार अश्वमेध, सौ बाजपेय यज्ञ तथा धरती की एक लाख परिक्रमा करने के बराबर पुण्य लाभ होता है। तो चलिए अब आपको इस शुभ तिथि के शुभ मुहुर्त के बारे में बताते हैं। 

इस बार ऐसा कहा जा रहा है कि अमावस्या तिथि 3 फरवरी 2019 को 23:52 बजे से आरंभ हो चुकी है और 5 फरवरी 2019 को 02:33 बजे समाप्त होगी। महोदय योग में गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन त्रिवेणी तट पर स्नान करने, पूजा-पाठ करने और दान करने से अन्य दिनों में किए गए स्नान-दान से कई गुना अधिक पुण्य फल साधक को मिलेगा। कहा जाता है कि आज के दिन मौन रहकर डुबकी लगाने पर अनंत फल प्राप्त होता है।

ज्योतिष गणना के अनुसार कुंभ के दौरान महोदय योग इससे पहले नौ फरवरी 1948 के कुंभ में बना था। इस बार अमृत का ग्रह चंद्रमा अपने ही नक्षत्र में होगा। देव गुरु बृहस्पति और दैत्य गुरु शुक्र के बीच सुंदर संबंध बने रहेंगे। राहु और बृहस्पति एक साथ होंगे और शनि व सूर्य के संबंध की वजह से मौनी अमावस्या पर्व लाभकारी है। सोमवार के दिन अमावस्या होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग जुड़ रहा है।

रामचरित मानस में तुलसीदास जी लिखते हैं कि 'माघ मकर गति रवि जब होई, तीरथ पतिहि आव सब कोहि। एहि प्रकार भरि माघ नहाई, पुनि सब निज निज आश्रम जाहि।।' यानि सोमवार चंद्रमा का दिन माना जाता है और इस दिन सूर्य और चंद्र एक ही राशि पर विराजमान रहते हैं।  माना जाता है कि प्रयागराज में होने वाला कुंभ प्रकाश की ओर ले जाता है, यह एक ऐसा स्थान है जहां बुद्धिमत्ता के प्रतीक सूर्य का उदय होता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर मनुष्य अपने समस्त पापों को धो डालता है।
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