मत्सय जयंती 2021- 1 क्लिक में जानिए मत्स्य भगवान की पूजा विधि व खास मंत्र

Wednesday, Apr 14, 2021 - 06:04 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्सय जयंती का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म में ये दिन भगवान विष्णु के मत्सय रूप को समर्पित माना जाता हैै। धार्मिक ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार के इस दिन श्री हरि विष्णु के मत्स रूप की पूजा का खासा महत्व होता है। पुराणों के अनुसार यह विष्णु भगवान का सर्वप्रथम अवतार माना जाता है। इसी के उपलक्ष्य में इस दिन यानि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देश भर के तमाम मंदिरों आदि में इनकी पूजा अर्चना की जाती है।  इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में बताया जाता है कि इस दिन मत्सय भगवान को प्रसन्न करने के लिए व्रत व उपवास आदि रखा जाता है। तथा इनका पूजन एक रात पहले ही आरंभ हो जाता है। कहा जाता है इस दिन श्री हरि की पूजा से भी  विशेष लाभ प्राप्त होताा है। यहां जानें 

मत्स्य अवतार कथा-
पुराणों में उल्लेखित कथाओं के मुताबिक एक बार दैत्य हयग्रीव ने ब्रह्मा जी से वेदों को चुरा लिया। वेदों के चोरी होने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया और समस्त लोक में अज्ञानता का अंधकार फैल गया। तब भगवान विष्णु जी ने धर्म की रक्षा हेतु मत्स्य अवतार धारण किया और दैत्य हयग्रीव का वध कर और वेदों की रक्षा की तथा वापस ब्रह्मा जी को वेद सौंपें।

महत्व-
ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं कि सृष्टि का आरंभ जल से हुआ है और वर्तमान काल में भी जल ही जीवन है। अतः मत्स्य द्वादशी का विशेष महत्व है। पुराणों में भगवान विष्णु जी के 12 अवतारों में से प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है जिस कारण मत्स्य द्वादशी बहुत शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से संकट दूर करते हैं तथा सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

पूजा विधि-
प्रातः काल उठकर स्नान-ध्यान से निवृत हो जाएं।
मत्सय भगवान के नाम से उपवास रख पूजा-अर्चना करें।
इस बात का ध्यान रहे इस दिन यानि मत्स्य जयंती के दिन जलाशय या नदियों में मछलियों को चारा ज़रूर डालें।

इसके अलावा निम्न मंत्र का जाप अवश्य करें-
मंत्र: वंदे नवघनश्यामम् पीत कौशेयवाससम्।
सानंदम् सुंदरम् शुद्धम् श्रीकृष्णम् प्रकृतेः परम्॥

ॐ मत्स्यरूपाय नमः॥ 
 

Jyoti

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