मैरी क्रिसमस: बुरी आत्माओं को घर से दूर रखता है क्रिसमस ट्री

Monday, Dec 25, 2017 - 12:37 PM (IST)

क्रिसमस ईसाइयों का पवित्र पर्व है जिसे हर वर्ष 25 दिसम्बर को बड़े दिन के रूप में वे अपनी-अपनी परम्पराओं के अनुसार मनाते हैं। यह पर्व प्रेम व मानवता का संदेश देते हुए बताता है कि आपस में खुशियां बांटना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। क्रिसमस का नाम आते ही बरबस ही आंखों के सामने एक तो क्रिसमस ट्री की छवि आ जाती है कि इस बार क्रिसमस ट्री को सबसे सुंदर कैसे सजाया जाए और दूसरा बच्चों की आंखों के तारे उनके प्रिय सांता क्लॉज की तस्वीर जिनका इंतजार बच्चे बड़ी बेसब्री से कर रहे होते हैं। क्रिसमस पर जब भी सांता क्लॉज की बात आती है तो सामने एक रेंडियर गाड़ी पर सवार दयालु व मोटे से, सफेद दाढ़ी व लाल-सफेद कपड़ों में सजे, कंधे पर एक बड़ी-सी पोटली उठाए दयालु इंसान की मूरत घूमने लगती है। बच्चों के प्रिय सांता जिन्हें संत निकोलस व अन्य नामों से पुकारा जाता है वह क्रिसमस से एक दिन पूर्व आकर बच्चों को चॉकलेट्स, बिस्किट्स, केक व कुकीज आदि उपहार स्वरूप देकर उनकी मुस्कुराहट बन जाते हैं।


मान्यता है कि साल भर तक सांता बच्चों के लिए उपहार तैयार करते हैं और इन सबको एक बड़े से झोले में डाल कर 24 दिसम्बर की रात वह 8 उडऩे वाले रेंडियर के स्लेज पर बैठ कर किसी बर्फीले स्थान से आते हैं और घरों की चिमनी के रास्ते घर आकर बच्चों के सिरहाने गिफ्ट्स रख कर वापस चले जाते हैं।


क्रिसमस ट्री का आकर्षण : इस दिन रंग-बिरंगी रोशनियों से सजे व सिल्वर बैल्स के साथ-साथ उपहारों से लदे क्रिसमस ट्री सबके आकर्षण का केंद्र होते हैं। क्रिसमस ट्री वालसम या फॅर का पौधा होता है जिसे इस दिन सजाया जाता है। कहा जाता है कि पुराने समय में यूरोपवासी इन सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे ताकि बुरी आत्माएं उनके घरों से दूर रहें। 


ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार जब क्रिसमस की पूर्व संध्या पर जर्मनी में मार्टिन लूथर रात को चमकते सितारों को देख रहे थे तो उन्हें अनुभव हुआ कि एक सितारे ने उन्हें प्रभु यीशू के जन्म की याद दिलाई है। ऐसे में वह एक फॅर के पेड़ की डाल घर लाए व उस पर ढेर सारी कैंडल्स जलाईं ताकि उनका परिवार भी वही सब महसूस कर सके। कहा जाता है कि तभी से क्रिसमस-ट्री को सजाने का रिवाज शुरू हुआ था।

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