Martand Saptami 2020: आज सूर्य आराधना करने से मिलेंगे ढेरों लाभ

Thursday, Jan 02, 2020 - 10:54 AM (IST)

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हिंदू धर्म में सूर्य आराधना का बड़ा महत्व बताया गया है। कहते हैं कि सूर्य देव को जल चढ़ाने से व्यक्ति का भाग्य खुलता है और उसे हर काम में तरक्की मिलती है। वैसे तो पूरे हफ्ते ही सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए, लेकिन रविवार के दिन जल देने से लाभ मिलते हैं। पौष मास की शुक्ल सप्तमी को मार्तण्ड सप्तमी का पर्व मनाया जाता है, जाकि आज के दिन मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव की आराधना का दिन होता है। सूर्य देव का एक नाम मार्तण्ड है, इसलिए इस सप्तमी को मार्तण्ड सप्तमी कहा जाता है। चलिए आगे जानते हैं इस दिन से जुड़ी खास कथा के बारे में। 

पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि कश्यप का विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री अदिति के साथ हुआ था। अदिति और महर्षि कश्यप के कईं पुत्र हुए। आदिति के पुत्र देव कहलाए और उनकी बहन दिति को जो पुत्र हुए वो असुर कहलाए। देव और असुरों में हमेशा से तनाव बनॉावा रहा। असुर देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार करना चाहते थे। एक समय बलशाली असुरों ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। देवी अदिति अपने पुत्रों की बुरी हालत देखकर सूर्य आराधना का निश्चय किया और कठोर तपस्या आरंभ कर दी। 

माता अदिति की तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्यदेव प्रकट हुए और अदिति से वरदान मांगने का कहा, देवी अदिति ने कहा कि मेरे पुत्रों की रक्षा करने के लिए मेरे पुत्र के रूप में जन्म लिजिए और मेरे पुत्रों की रक्षा कीजिए। देवी की प्रार्थना पर सूर्यदेव उनके गर्भ में प्रगट हुए। देवी गर्भधारण के वक्त भी व्रत और तप में लगी रही, जिससे वह कमजोर हो गई। देवी अदिति के तप से सूर्य देव नाराज हुए और उन्होंने अदिति को अपशब्द कह डाले। तब देवी अदिति ने महर्षि को समझाते हुए कहा कि यह साधारण गर्भ नहीं बल्कि सूर्यदेव का अंश है। तब महर्षि ने भी सूर्य देव की आराधना की। भगवान सूर्य ने उनको क्षमादान दिया। उसी समय देवी अदिति ने एक तेजस्वी पुरूष को जन्म दिया, जो मार्तण्ड कहलाया। पौष मास की शुक्ल सप्तमी को देवी अदिति ने मार्तण्ड को जन्म दिया था इसलिए इसको मार्तण्ड सप्तमी कहा जाता है। 

Lata

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