Marry Christmas 2020: ये हैं भारत के सबसे सुंदर व पुराने चर्च

Friday, Dec 25, 2020 - 10:37 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पूरे देश में आज क्रिसमिस का पर्व मनाया जा रहा है। जिस तरह अन्य धर्मों के पर्व आदि के दौरान लोग अपने धार्मिक स्थलों पर जाते हैं ठीक वैसे ही क्रिसमस का त्यौहार के अवसर पर ईसाई धर्म के लोग चर्च आदि जाते हैं। ईसाई मान्यताओं के अनुसार क्रिसमिस के अनुसार ईसा मसीह का जन्म हुआ था। जिसके उपलक्ष्य में ये पर्व मनाया जाता है। इसी खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के 4 पुराने चर्च के बारे में बताने जा रहे हैं। यूं तो भारत में कई पुराने चर्च हैं, जिसका निर्माण पुर्तगालियों और अंग्रेज़ों ने मिलकर करवाया था। क्रिसमस के खास अवसर पर लोग इन चर्चों में प्रार्थना करने जाते हैं। अगर बात करें अधिकतर पुराने चर्चों की तो कहा जाता है कि देश के केरल, गोवा और कोलकाता के साथ-साथ अन्य कई शहरों में सालों पुराने चर्च शामिल हैं। बताया जाता है कि केरल के कोच्चि शहर में भारत का पहला यूरोपीय चर्च है, वहीं यहां के एर्नाकुलम का चर्च 400 साल पुराना है। इसके अलावा कहा जाता है कि कोलकाता का सेंट पॉल कैथेड्रल एशिया का पहला ऐसा चर्च है जो किसी संत के नाम पर बनाया गया था। तो वहीं इसके अलावा गोवा का द अवर लेडी ऑफ इम्मेक्यूलेट कन्सेप्शन चर्च 478 साल पुराना माना जाता है। आइए जानते हैं इन सभी के बारे मोें विस्तार से- 

भारत का पहला यूरोपीय चर्च
बताया जाता है कि सेंट फ्रांसिस चर्च केरल के कोच्ची शहर में स्थित है। जो सन् 1503 में बना था, इसे भारत का पहला यूरोपीय चर्च माना जाता है। इससे जुड़ी मान्यताओं की बात करें तो महान पुर्तगाली नाविक वास्को-डि-गामा को मरने के बाद इसी चर्च में दफनाया गया था। जिस कारण इस चर्च को कोच्चि के सांस्कृतिक इतिहास में खास जगह प्राप्त है और अति प्रसिद्ध है। यहां रोज़ाना हजारों की तादाद में लोग आते हैं। इस चर्च में कई पुरानी और ऐतिहासिक चीजें मौजूद हैं, जो लोगों को यहां आने के लिए लुभाती हैं।

1951 में एर्नाकुलम चर्च राष्ट्रीय तीर्थ स्थानों की सूची में हउआ था शामिल हुआ
कहा जाता है केरल के एर्नाकुलम के इस चर्च को ऑवर लेडी ऑफ रैनसम के नाम भी जाना जाता है। यहां के लोगों की मानें तो इसे यहां के लोगों द्वारा प्यार से ईसा की मां मेरी को वल्लार्पदाथाम्मा के नाम से भी पुकारा जाता है। बताया जाता है कुछ पुर्तगालियों ने इसका निर्माण 1524 में ने बनवाया था। हालांकि, 1676 में एक भारी बाढ़ की वजह से ये टूट गया था। जिसके बाद इस चर्च का फिर से निर्माण करवाया गया। 1951 में भारत सरकार ने इस चर्च को राष्ट्रीय तीर्थ स्थल का दर्जा भी दे दिया था। 

478 साल पुराना चर्च
द अवर लेडी ऑफ इम्मेक्यूलेट कन्सेप्शन चर्च न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में अपनी प्राचीनता और धार्मिक महत्व के कारण पहचान रखता है। 1541 में इस एक छोटे उपासना स्थल के रूप में बनवाया था। जिसके बाद1600-1609 के दौरान इसने एक विशाल और खूबसूरत चर्च का आकार ले लिया। 478 साल पुराने इस चर्च के मुख्य उपासना वाली जगह को मदर मेरी को समर्पित किया गया है।


संत के नाम पर बना पहला चर्च
सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च के बारे में कहा जाता है कि यह एशिया का पहला ऐसा चर्च था जिसका निर्माण किसी संत के नाम पर करवाया गया था। इसलिए इसे एशिया का पहला एपिस्कोपल चर्च कहा जाता है। इस चर्च के अंदरूनी हिस्से में पवित्र कर्मों का चित्रण किया गया है। ये चर्च गोथिक वास्तुकला का बेजोड़ नमूना माना जाता है। इसकी आधारशिला 1839 में रखी गई थी और साल 1847 में बन गया था। ये चर्च कुछ-कुछ इंग्लैंड के नॉर्विच कैथेड्रल की तरह दिखता है। 

Jyoti

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