श्रीकृष्ण ने किया भालू की बेटी से विवाह और उन्हें बनाया अपनी पटरानी !

punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 07:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Marriage of Shri Krishna: श्री कृष्ण राधा से प्रेम करते थे पर इनका कभी विवाह नहीं हुआ। लेकिन राधा-कृष्ण का प्यार अमर था, जिसे आज के समय में भी याद किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की सिर्फ 8 पत्नियां थी जिनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था। पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि एक दानव था भौमासुर। जिसने अमर होने के लिए 16 हजार 100 कन्याओं की बलि देने का निश्चय कर लिया था। श्री कृष्ण ने इन कन्याओं को कारावास से मुक्त कराया और उन्हें उनके घर वापिस भेज दिया। लेकिन चरित्र के नाम पर उनके परिवारवालों ने उन्हें अपनाने से मना कर दिया। तब श्री कृष्ण ने 16 हजार 100 रूपों में प्रकट होकर एक साथ उन कन्याओं से विवाह रचाया। इस तरह से कन्हैया कि 16 हजार 100 शादियां एक साथ हुईं। 

Marriage of Shri Krishna Jambavati
शास्त्र श्रीमद्भागवत के अनुसार सूर्यदेव ने सत्राजित के तपस्या से प्रसन्न होकर उसे स्यमंतक मणि प्रदान की थी। स्यमंतक मणि का प्रकाश सूर्यदेव के सामान तेजवान था तथा वह मणि जिस स्थान पर स्थापित होती थी उस जगह के सारे कष्ट हर लेती थी तथा स्यमंतक मणि नित्य अपने धारक को अपने भार के बराबर आठ गुणा सुवर्ण प्रदान करती थी। 

पौराणिक मतानुसार सर्वाधिक अमूल्य वस्तु पर सर्वप्रथम राजा का अधिकार होता था। श्रीकृष्ण व उनके यादव साखों ने सत्राजित से यह मणि श्रीकृष्ण के नाना मथुरा नरेश उग्रसेन हेतु मांगी ली ताकि मथुरा के राज्यकोष का उत्थान हो सके। इस पर सत्राजित श्रीकृष्ण व उनके यादव मित्रों से नाराज़ हो गया तथा उसने स्यमन्तक मणि को स्थानिक देवालय में स्थापित करवा दिया। 

Marriage of Shri Krishna Jambavati
शास्त्र सुखसागर के इस वृतांत के अनुसार सत्राजित भ्राता प्रसेनजित स्यमंतक मणि धारण कर शिकार हेतु जंगल में गया जहां वह शेर के हाथों मारा गया उसी समय रीछराज जांबवंत ने शेर का शिकार कर वह स्यमंतक मणि प्राप्त कर ली। जांबवंत ने स्यमंतक मणि को अपने बालक को खिलौने स्वरुप भेंट दे दी। जब प्रसेनजित शिकार से लौट कर नहीं आया तो सत्राजित को यह विश्वास हो चला कि श्रीकृष्ण ने उसके भाई की हत्या कर मणि उससे छीन ली है। श्रीकृष्ण पर चोरी के कलंक की बात जब पूरे राज्य में फैलने लगी तब श्रीकृष्ण ने मिथ्या आरोप से मुक्ति हेतु यादव मित्रों के साथ मिलकर स्यमंतक मणि खोज प्रारंभ की। श्रीकृष्ण ने वन में प्रसेनजित को मृत पाया। प्रसेनजित के शव के निकट ही शेर के पंजों के निशान थे। थोड़ी दूर पर श्रीकृष्ण को मृत शेर भी मिला व उसी जगह पर रीछ के पैरों के निशान भी मिले जो कि एक गुफा तक जा रहे थे। गुफा मुख पर पहुंचकर श्रीकृष्ण ने यादव मित्रों से वहीँ प्रतीक्षा करने को कहा व स्वयं गुफा में प्रवेश किया।

Marriage of Shri Krishna Jambavati
श्रीकृष्ण ने गुफा में देखा कि रीछ का बालक उस स्यमंतक मणि से खेल रहा है। श्रीकृष्ण ने स्यमंतक मणि को रीछ के बालक से ले लिया। यह देख कर रीछराज जांबवंत ने क्रोधित होकर श्रीकृष्ण पर हमला कर दिया। जांबवंत व श्रीकृष्ण में भयंकर युद्ध छिड़ गया जो अट्ठाइस दिन तक चला जिसमे जांबवंत की नस टूट गई। व्याकुल जांबवंत ने श्रीराम का स्मरण किया जिससे श्रीकृष्ण ने जांबवंत को श्रीराम के रूप में दर्शन दिए। 

Marriage of Shri Krishna Jambavati
जांबवंत श्रीकृष्ण के समक्ष नतमस्तक हो गया। श्रीकृष्ण ने जांबवंत से कहा कि "मेरे रामावतार में तुमने रावण वध पश्चात् मुझसे युद्ध करने की इच्छा व्यक्त की थी तथा मैंने तुम्हें अगले अवतार में इच्छा पूर्ती का वर दिया था। अपना वचन सत्य सिद्ध करने हेतु मैंने यह युद्ध किया है।" 

रीछराज जांबवंत ने श्रीकृष्ण की स्तुति कर अपनी रीछरुपी सुपुत्री जाम्बवती का विवाह श्रीकृष्ण से किया। शास्त्र श्रीमद्भागवत व सुखसागर में जांबवंती और श्रीकृष्ण के विवाह व उनके साम्ब नामक पुत्र का वर्णन मिलता है। इस प्रकार श्रीकृष्ण का रीछ पुत्री से विवाह हुआ।

Marriage of Shri Krishna Jambavati


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News