Margashirsha Purnima 2020: चंद्र देव को करना है प्रसन्न तो आज करें इन मंत्रों का उच्चारण

Wednesday, Dec 30, 2020 - 12:02 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज यानि 30 दिसंबर मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि यानि पूर्णिमा तिथि है, जिसे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा व अगहन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक पूर्णिमा तिथि की तरह इस तिथि को भी विशेष माना जाता है। कहा जाता पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान सत्यानारायण, देवी लक्ष्मी व खास रूप से चंद्र देव की पूजा अराधना की जाती है। तो वहीं पूर्णिमा तिथि के दिन जातक द्वारा दान- स्नान करना भी अधिक लाभगदायक माना जाता है। मगर बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें इस बारे में जानकारी नहीं होती कि इस दिन किस सरल विधि से पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा किसकी पूजा करनी चाहिए। तो अगर आपको भी इस बारे में जानकारी नहीं है तो चलिए आपको बताते इस दिन की पूजन विधि साथ ही साथ बताएंगे इस दिन जपे जाने वाले खास मंत्रों के बारे में जिनका जप करना बहुत लाभकारी साबित होता है। 

पूजन विधि- 
सबसे पहले प्रातः भगवान का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
संभव हो तो इस दिन स्नान आदि के बाद नए सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करें, नए न हो तो शुद्ध सफेद वस्त्र धारण कर, आचमन करें। 
इसके बाद ॐ नमोः नारायण का जप करते हुए, श्री हरि का आह्वान करें।
अब श्री हरि विष्णु जी को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करें।
फिर पूजा स्थल पर वेदी बनाएं और हवन के लिए अग्नि जलाएं। 
हवन में तेल, घी और बूरा आदि की आहुति डालें।
हवन समाप्त होने पर एक बार फिर से भगवान का ध्यान करें।
अपनी क्षमता अनुसार व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें।
 

इसके अलावा चन्द्र देव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करें जप- 
चन्द्रमा का नाम मंत्र -  
ॐ सों सोमाय नम:।
 
चंद्रमा गायत्री मंत्र - 
 ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।
 
चंद्रमा का पौराणिक मंत्र - 
 दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।। 
 
चन्द्रमा के तांत्रोक्त मंत्र – 
 ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।
 
चन्द्रमा का वैदिक मंत्र -   
ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं।
महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै
पुत्रमस्यै विश वोsमी राज: सोमोsस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा।
 

Jyoti

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