Manusmriti: अनजाने में गृहस्थ कर जाते हैं यह गलतियां, जो बन जाती हैं पाप

punjabkesari.in Tuesday, May 28, 2024 - 07:14 AM (IST)

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Manusmriti: भारत में मनु स्मृति की बहुत मान्यता है। इसकी धर्म-व्यवस्था वेदों पर आधारित होने के कारण बहुत प्रचलित है। इसमें चारों वर्णों, चारों आश्रमों, सोलह संस्कारों तथा जीवन से संबंधित अनेक सूत्रों का बहुत बारिकी से वर्णन किया गया है। जो मानव जीवन के लिए प्रासंगिक है। मनुस्मृति में बहुत सारी गुप्त बातों का भी वर्णन है जो आम व्यक्ति न तो समझ पाता है और न ही जानता है। मनुस्मृति में बताया गया है सभी गृहस्थों के घर में 5 ऐसी जगह हैं, जहां अनजाने में वह पाप कर बैठता है। आईए जानें कौन सी हैं वो जगह- 
 
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श्लोक
पञ्चसूना गृहस्थस्य चुल्की पेषण्युपुष्कर:। कण्डनी चोदकुम्भश्च वध्यते वास्तु वाहयन्।।
तासां क्रमेण सर्वासां निष्कृत्यर्थं महर्षिभि:। पञ्च क्लृप्ता महायज्ञा: प्रत्यहं गृहमेधिनाम्।।  


अर्थात किसी भी गृहस्थ आश्रम में रहने वाले व्यक्ति के लिए पांच चीजों का उपयोग बहुत ध्यान से करना चाहिए क्योंकि ये चीजें अनजाने में हमसे सूक्ष्म जीवों की हत्या करवा देती हैं जैसे चूल्हा, चक्की, झाड़ू, उखल-मूसल तथा पानी का कलश। 

जब इन चीजों का उपयोग किया जाता है तो इनमें असंख्या सूक्ष्म जीवों ने अपना घरौंदा बनाया होता है और हम अनजाने में ही जीव हत्या के भागी बन जाते हैं। मनु स्मृति के अनुसार इस पाप से मुक्ति पाने के लिए सभी गृहस्थों को पांच महायज्ञ अवश्य करने चाहिए। 
 
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श्लोक
अध्यापनं ब्रह्मयज्ञः पितृयज्ञस्तु तर्पणम्। होमो दैवो बलिर्भौतोनृयज्ञोतिथिपूजनम्।। 


अर्थात वेदों का पाठ करना और कराना ब्रह्मयज्ञ कहलाता है। 
अपने पितरों का विधिपूर्वक श्राद्ध-तर्पण करना पितृ यज्ञ माना गया है। 
हवन करना देव यज्ञ है। इससे देवताओं को प्रसन्न किया जाता है। 
भूत यज्ञ के माध्यम से कीट-पतंगों, पशु-पक्षी, कृमि या धाता-विधाता को अन्न या भोजन देना। 
घर आए मेहमान को अन्न, वस्त्र और धन देकर तृप्त करना मनुष्य यज्ञ कहलाता है। 
 
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Content Writer

Niyati Bhandari