Mantra Jaap Vidhi: सही ढंग से करें ‘माला’ जप तभी मिलेगा पुण्य फल

Wednesday, Oct 27, 2021 - 11:48 AM (IST)

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Mantra Japa Vidhi: मालाएं तो सभी किसी न किसी प्रकार के पत्थर की होती हैं परन्तु प्रत्येक साधनों में अलग-अलग मालाओं का उल्लेख रहता है। कारण यही है कि मालाएं तो सभी एक सी हैं परन्तु जिस साधना विशेष के लिए जिस माला को बताया गया है, उस साधना के लिए वही माला प्रयुक्त करनी चाहिए। श्री महालक्ष्मी साधना के लिए सिद्ध की गई माला से यक्षणी साधना सम्पन्न नहीं हो सकेगी और अगर प्रयास किया भी जाए तो असफलता ही मिलेगी। 

जो मुख्य बात होती है, वह माला के पदार्थ में नहीं अपितु इस बात में होती है कि वह किन मंत्रों में से और किस पद्धति से प्राण प्रतिष्ठित की गई गौण तथ्य है। यूं तो बाजारों में समस्त प्रकार की मालाएं मिलती हैं परन्तु वे केवल पत्थर की मालाएं ही होती हैं, चेतना के नाम पर निष्प्राण होती हैं और इसी कारण साधना के लिए निरुद्देश्य भी होती हैं।

साधनाओं को क्रमबद्ध रूप से सम्पन्न करने के लिए आवश्यक है कि एक निश्चित मात्रा में जप किया जाए, तभी वह फलप्रद होता है। अपने मन के अनुसार या आलस्यवश किसी दिन कम अथवा किसी दिन उत्साह में आकर अधिक मंत्र जप प्रभावकारी नहीं होता इसलिए नित्य निश्चित संख्या में मंत्र जप आवश्यक है। माला की उपयोगिता का एक कारण तो यही है कि उसमें मंत्र जप की संख्या साधक को ज्ञात रहती है।

माला द्वारा मंत्र जप करते समय हाथ की उंगलियों से एक विशेष मुद्रा बनती है, जिसमें दाहिने हाथ का अंगूठा और अनामिका अनवरत रूप से एक-दूसरे को स्पर्श करती रहती हैं।

मध्यमा उंगली द्वारा माला चलाई जाने पर अंगूठे के साथ मध्यमा का परस्पर घर्षण होता है। इस घर्षण से माला के प्रभाव से एक दिव्य विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह विद्युत ऊर्जा अनामिका एवं अंगूठे द्वारा एक गोलाकार बनने से एक चक्र में घूमती रहती है और साधक के शरीर में यह मंत्र जनित ऊर्जा आत्मसात होती रहती है। यहां यह बात ध्यान वाली है कि विद्युत प्रवाह के लिए गोलाकार पथ अनिवार्य है। 

Niyati Bhandari

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