शास्त्रों के खजाने की अनमोल धरोहर है ये मंत्र, पूजा से पहले करें उच्चारण

Monday, Aug 26, 2019 - 05:17 PM (IST)

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आज के समय में हर कोई अपनी समस्या से छुटकारा पाने के लिए कोई न कोई उपाय करता रहता है। इसके लिए वह कई तरह के पूजा-पाठ भी करता है। लेकिन कई बार लोग पूजा या कोई उपाय करते समय कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जिससे कि उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। आज हम पूजा के दौरान होने वाली गलतियों के बारे में बताएंगे, जिसे दूर करके आप अपनी हर समस्या का समाधान कर सकते हैं। 

पुराने समय में लोग मंत्र जाप के द्वारा भगवान के प्रसन्न किया करते थे। अगर आप भी अपनी दिनचर्या में कुछ मंत्रों का उच्चारण कर लें तो आपका दिन तो अच्छा जाएगा ही साथ ही भगवान की कृपा भी प्राप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार किसी भी पूजा को करने से पहले स्वस्ति वाचन करने से देवी-देवताओं को जाग्रत किया जाता है। ऐसा करना घर की सुख शांति का प्रतीक माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और साथ ही व्यक्ति को भाग्य भी चमकता है। 

स्वस्ति मतलब सु अस्ति जिसका अर्थ है कल्याण होना। मान्यता है कि स्वस्ति मंत्र का उच्चारण करने से हृदय और मन आपस में मिल जाते हैं। मंत्र का उच्चारण करते हुए दूर्वा घास से जल के छींटे डाले जाते थे। यह माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। जगत का कल्याण, परिवार के कल्याण के लिए और खुद के कल्याण के लिए शुभ वचन कहना ही स्वस्तिवाचन है। इस मंत्र के साथ प्रार्थना आरंभ करनी चाहिए। 

मंत्र 
ऊं शांति सुशान्ति: सर्वारिष्ट शान्ति भवतु। ऊं लक्ष्मीनारायणाभ्यां नम:। ऊं उमामहेश्वराभ्यां नम:। वाणी हिरण्यगर्भाभ्यां नम:। ऊं शचीपुरन्दराभ्यां नम:। ऊं मातापितृ चरण कमलभ्यो नम:। ऊं इष्टदेवाताभ्यो नम:। ऊं कुलदेवताभ्यो नम:।ऊं ग्रामदेवताभ्यो नम:। ऊं स्थान देवताभ्यो नम:। ऊं वास्तुदेवताभ्यो नम:। ऊं सर्वे देवेभ्यो नम:। ऊं सर्वेभ्यो ब्राह्मणोभ्यो नम:। ऊं सिद्धि बुद्धि सहिताय श्रीमन्यहा गणाधिपतये नम:।ऊं स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥ ऊं शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥


 

Lata

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