मंत्र की ऊर्जा शरीर को दिव्य शक्तियों से सींचती है, नींद से रहें सावधान

Monday, Nov 21, 2016 - 03:03 PM (IST)

विश्व के लगभग सभी धर्मों में जप ईश्वर के स्मरण करने की परम सामान्य आध्यात्मिक प्रक्रिया है। शब्द या किसी वाक्यांश का अनुशासन जब किसी आवृत्ति के रूप में उतरता है तब अक्सर उसका संबंध किसी दिव्य शक्ति से हो जाता है। शायद यही वजह है कि प्रार्थनाओं की हजारों रीतियों में जप सर्वाधिक सम्मान प्राप्त रीति है। 


भक्त कितने ही कर्मकांड क्यों न कर ले, जब तक वह जप नहीं कर लेता उसे पूजन-अर्चन का न आनंद मिलता है और न संतोष होता है। किसी मंत्र अथवा ईश्वर के नाम को दोहराना स्वयं को किसी आध्यात्मिक शक्ति पर केन्द्रित कर उसके साथ जुडऩे अथवा उसका आत्मसात करने की प्रक्रिया है। दूसरी चिंताओं में भटकता हुआ मन जप करने से थक जाता है और मनोवांछित फलों से वंचित रह जाता है। इसलिए धीमे-धीमे जप ज्यादा शक्तिशाली होता है क्योंकि जप की तेज शुरूआत कुछ ही देर में नींद में बदल जाती है, नींद जप के लिए खतरा है।


जप ध्यान केन्द्रित करने का माध्यम है। यह मस्तिष्क की भूख को परिपूर्ण कर देता है। जप सांस लेने की प्रक्रिया को संतुलित करता है। मंत्र की ऊर्जा जप के कारण ही शरीर को दिव्य शक्तियों से सींच पाती है। जप से देह में और देह के बाहर सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है जिससे जीवन में विलक्षण परिवर्तन होते हैं।


 

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