अमरनाथ जाते समय पड़ता है ये मंदिर, कभी नहीं बंद होते कपाट

Sunday, Dec 23, 2018 - 05:41 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
लगभग सभी अमरनाथ यात्रा के बारे में तो जानते ही हैं, ये यात्रा हर साल जून से लेकर अगस्त यानि रक्षा बंधन के दिन तक चलती है। अमरनाथ गुफा को बहुत ही पावन माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान शंकर ने अपनी पत्नी देवी पार्वती को अमरकथा सुनाई थी। आप सोच रहे होंगे कि हम आपको ये सारी जानकारी क्यों दे रहे क्योंकि इस पावन गुफा के बारे में लगभग हर कोई जानता ही है। परंतु आज आपको इससे जुड़े एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कोई नहीं जानता।

अमरनाथ की यात्रा करने के लिए सबसे पहले जम्मू जाना पड़ता है, उसके बाद श्रीनगर। श्रीनगर के बाद अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए दो रास्ते हैं, एक हैं, बालटाल और दूसरा है पहलगाम। श्रीनगर के बाद यहां पहुंचकर आगे पैदल यात्रा शुरू होती है। बता दें कि पहलगाम भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में अनंतनाग जिले का एक छोटा सा कस्बा है। यह एव विख्यात पर्यटक स्थान है साथ ही अमरनाथ यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है। यह लिद्दर नदी के किनारे समुद्र से 7200 फ़ीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है।

आज हम पहलगाम के 900 साल पुराने शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर की खास बात ये है कि ये साल के पूरे 12 महीने खुला रहता है। एक भी दिन ये मंदिर बंद नहीं होता। इसकी देखरेख का काम कश्मीर सरकार को सौंपा गया है। लोक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में इस मंदिर का निर्माण राजा जय सूर्या द्वारा करवाया गया था। माना जाता है कि बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले हर यात्री इस मंदिर के दर्शन करने ज़रूर आता है।

माना जाता है कि कश्मीर में रहने वाले हिंदू लोग और पर्यटकों के लिए यह मंदिर काफी महत्व रखता है। वर्तमान में कश्मीर घाटी में रोज़ाना कुछ न कुछ खतरनाक होता है फिर भी ये मंदिर अपनी जगह शांत और स्थिर खड़ा है। बता दें मंदिर का ममल मंदिर है। परंतु आप में से बहुत से लोग इसका मतलब नहीं समझ पाएंगे। तो आपको बताते हैं कि इस नाम का वास्तविक अर्थ क्या है, इसके बारे में अभी तक कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है।

परंतु कश्मीर के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर का नाम मंदिर के निर्माता राजा जयसूरि के समय से रखा हुआ है। मान्यता है कि इस स्थान पर गणेश जी को एक रक्षक के रूप में खड़ा किया गया था और उनसे कहा गया था जब तक तुमको इज़ाज़त न मिले तब तक तुम किसी को अंदर न आने देना। इसलिए कुछ लोगों का मानना ​​है कि मामलो शब्द का अर्थ “मत जाओ” होता है।   ऐसा यहां के लोगों का कहना है कि मंदिर का ये नाम गणेश जी की घटना से ही लिया गया है।

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Jyoti

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