मूर्तियों के बाज़ार में 'Make In India’ की दीवाली

Wednesday, Oct 23, 2019 - 10:27 AM (IST)

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नई दिल्ली: मूर्ति बाज़ार में इस त्यौहारी मौसम में ‘मेक इन इंडिया’ का जलवा है। ‘मेड इन चाइना’ काफी हद तक गायब है। पिछले कई वर्षों से दीवाली पर देवी-देवताओं की मूर्तियों के बाजार में ‘ड्रैगन’ का ‘कब्जा’ था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है और देश में बनी मूर्तियों ज्यादा दिखाई दे रही हैं।

राजधानी के सदर बाजार में पिछले 3 दशक से अधिक समय से उपहार सामग्री का कारोबार कर रहे स्टैंडर्ड ट्रेडिंग के सुरेंद्र बजाज ने कहा, ‘‘इस बार मूर्तियों के बाज़ार से चीन काफी हद तक गायब है। बहुत कम व्यापारी चीन से आयातित मूर्तियों बेच रहे हैं।’’

दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बावेजा कहते हैं, ‘‘इस बार व्यापारियों ने चीन से बहुत कम मूर्तियों का आयात किया है। आयात कम होने की वजह चीन से आयातित मूर्तियों के दाम में वृद्धि है।’’

भारतीय मूर्तियों ने चीन को पछाड़ा
उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय मूर्तियों ने अब चीन की तकनीक को समझ लिया है और अपने उत्पादों में उसी के अनुरूप सुधार किया है। यही वजह है कि आज भारतीय मूर्तिकारों ने चीन को पछाड़ दिया है। आज मूर्तियों के बाज़ार में चीन का हिस्सा बमुश्किल 10 प्रतिशत रह गया, जो 5-6 साल पहले तक 70-80 प्रतिशत पर पहुंच गया था।’’

उल्लेखनीय है कि पिछले कई साल से विशेष रूप से दीवाली के मौके पर चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान चलाया जा रहा है। व्यापारियों का मानना है कि चीन की मूर्तियों की मांग घटने की एक वजह यह अभियान भी हो सकता है। 

चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान’ का असर मूर्तियों के बाज़ार पर
कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि ‘चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान’ का असर मूर्तियों के बाज़ार पर दिख रहा है। ज्यादातर व्यापारी इस बार देश में बनी मूर्तियों ही बेच रहे हैं। खंडेलवाल कहते हैं कि व्यापारियों का तो इसमें योगदान है ही, साथ ही ग्राहक भी अब चाइनीज गॉडफिगर खरीदने से कतराता है। ज्यादातर ग्राहक अब देश में निर्मित मूर्तियों की मांग करते हैं। ऐसे में जैसी मांग होगी वैसा उत्पाद व्यापारी बेचेंगे।

भारतीय मूर्तियों अधिक टिकाऊ
वर्षों से मूर्तियों का कारोबार कर रहे मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि मूर्तियों ‘रेजिन’ मैटीरियल से बनाई जाती हैं क्योंकि इस पर साज-सज्जा करना आसान होता है। साथ ही इनकी साफ-सफाई भी आसान होती है। सुलेमान ने कहा कि भारतीय मूर्तियों की खास बात यह है कि ये अधिक टिकाऊ हैं। चीन की मूर्तियों बेशक आकर्षक दिखती हैं लेकिन अधिक टिकाऊ नहीं होतीं। 

Jyoti

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