गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर: मकर संक्रांति का त्योहार क्यों है खास ?

punjabkesari.in Saturday, Jan 11, 2025 - 07:57 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Makar Sankranti 2025: एक वर्ष में बारह संक्रांतियां आती हैं, जिनमें से मकर संक्रांति को सबसे महत्त्वपूर्ण माना गया है क्योंकि यहीं से उत्तरायण पुण्यकाल शुरू होता है। मकर संक्रांति के इस शुभ अवसर पर हम सूर्य देवता का आवाहन करते हैं। जब शीत ऋतु समाप्त होने लगती है तो सूर्यदेव मकर रेखा का संक्रमण करते हुए उत्तर दिशा की ओर अभिमुख हो जाते हैं और इसे ही उत्तरायण कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन हम सूर्य देवता का स्मरण करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। वैसे तो पूरे वर्ष को शुभ माना जाता है लेकिन इस उत्तरायण की अवधि को देवताओं का समय होने के कारण अधिक शुभ कहते हैं। 

PunjabKesari lohri

सदियों से हम इस त्यौहार को बड़े उत्साह से मनाते आये हैं। इसी उत्तरायण काल को पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और दिल्ली में लोहड़ी के रूप में, असम में बिहू के रूप में और तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाते हैं । किसान इसी समय एक फसल काटने के बाद, दूसरी फसल के लिए बीज रोपण करते हैं और उत्सव मानते हैं। इस दिन से ठंड कम होने लगती है और यह वसंत के आगमन का सूचक भी है। इस समय तिल, गन्ना, मूंगफली और धान जैसी नई फसलें आती हैं। इन सबको मिलाकर पहले दिन खिचड़ी बनाई जाती है और फिर इसे सभी लोग आपस में बांटते हैं। दूसरे दिन गाय की पूजा भी की जाती है। जब नई फसल आती है तो उसे सभी के साथ बांटकर खाते हैं और दान भी करते हैं। 

PunjabKesari Makar Sankranti

ऐसा कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन गंगा जी ने राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके साठ हजार पितरों को मोक्ष प्रदान किया था। वैसे तो हर उत्सव में गंगा स्नान का बहुत महत्व होता है लेकिन मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है । जो लोग गंगा जी के पास हैं वे तो गंगा जी में स्नान करते ही हैं लेकिन जहां गंगा जी नहीं है, वहां यह समझना चाहिए कि गंगा अपने घर में ही हैं। मकर संक्रांति के पर्व पर गंगा स्नान का अर्थ यही है कि ज्ञान की गंगा में स्नान करें। ज्ञान से लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी सुकून मिलता है और जब हम ध्यान करते हैं और ज्ञान में रहते हैं तब उसका प्रभाव केवल हम तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि आगे वाली पीढ़ियों और हमारे पूर्वजों पर भी पड़ता है। 

PunjabKesari Makar Sankranti

मकर संक्रांति पर हम तिल और गुड़ का आदान-प्रदान करते हैं। छोटे-छोटे तिल हमें याद दिलाते हैं कि इस ब्रह्मांड में हमारा महत्व भी एक तिल के बीज के समान मात्र एक छोटे से कण जैसा है - लगभग कुछ भी नहीं । यह भावना कि 'मैं कुछ भी नहीं हूं' हमारे अहंकार को समाप्त कर देती है और हमारे भीतर विनम्रता लाती है।  यही ‘अकिंचनत्व’ है माने ‘मैं कुछ भी नहीं हूं’।  ये संसार अनंत है। यहां अरबों-खरबों तारे सितारे हैं, उनमें से एक सूरज है। यहां अनेक ग्रह हैं जिनमें से एक पृथ्वी है जहां आपके जैसे पता नहीं कितने लोग आए और कितने चले गए। जब आप इस बात के प्रति सजग हो जाते हैं कि इस विशाल सृष्टि में हम कुछ भी नहीं हैं, तब आपका ये अहंकार और बनावटीपन जिससे सारी परेशानियां होती हैं, वह सब छूट जाता है और आप एक नवजात शिशु की तरह सहज हो जाते हैं।  यही तिल का संदेश है ।

Makar Sankranti

महाराष्ट्र में इस दिन एक-दूसरे को यह कहकर अभिवादन करते हैं कि ‘गुड़ खाओ और मधुर बोलो।’ हम मिठास के बिना नहीं रह सकते क्योंकि यदि हमारे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है तो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । गुड़ माने मधुरता; मधुरता जीवन का आधार है । मकर संक्रांति हमें यह संदेश देती है कि हमारे जीवन में गुड़ जैसी मधुरता और तिल जैसा अकिंचन त्व दोनों साथ-साथ हों।

Makar Sankranti

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News