Mahatma Buddha: सुख-दुख में एक समान रहें

Friday, Aug 19, 2022 - 11:14 AM (IST)

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महात्मा बुद्ध उच्च कोटि के महान संत थे, साधक थे। एक बार बुद्ध किसी गांव से जा रहे थे। गांव के लोगों ने उनकी बहुत ङ्क्षनदा की, अपशब्द कहे। गांव वाले जितना बुरा बोल  सकते थे, बोले। जब वह लोग बोल-बोल कर थक गए तब चुप हो गए। जब वे चुप हो गए तो सुख-दुख में एक समान रहने वाले  बुद्ध ने कहा-क्या अब मैं अगले गांव चला जाऊं? आप आज्ञा दें तो मैं अपनी आगे की यात्रा जारी रखूं।

लोग दंग रह गए कि हमने इन्हें इतना भला-बुरा कहा और ये जरा भी प्रभावित नहीं हुए बल्कि मधुर मुस्कान से पूछ रहे हैं कि क्या मैं अगले गांव चला जाऊं! और हमसे आज्ञा मांग रहे हैं। लोगों ने पूछा-हमारी गालियों का क्या हुआ? बुद्ध ने कहा-जब मैं पिछले गांव में था तो लोग मेरे पास मिठाइयां लेकर आए थे। उन्होंने मुझे मिठाइयां देने की बहुत कोशिश की और तरह-तरह के प्रयास भी किए लेकिन मैंने किसी की मिठाई स्वीकार नहीं की। 

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आप मुझे बताएं कि वे मिठाइयां फिर किसके पास रहीं? लोगों ने कहा-यह तो बच्चा भी बता देगा कि मिठाइयां उन्हीं के पास रहीं। बुद्ध ने कहा-तुम्हारी बातें तुम्हें मुबारक! पीछे के गांव वालों ने मिठाइयां दीं, मैंने वे नहीं लीं अत: वे उन्हीं के पास रहीं, वैसे ही मेरे प्यारे गांव वासियो, आप लोगों ने मुझे गालियां दीं और मैंने नहीं लीं तो आप लोगों की चीज आप ही के पास रह गई। महात्मा बुद्ध की बात सुनकर गांव वाले आश्चर्यचकित होते हुए बुद्ध को देखते ही रह गए। सभी महात्मा बुद्ध के चरणों में झुक गए और अपने किए की क्षमा याचना की। —आचार्य ज्ञान चंद्र

Jyoti

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