Mahashivratri scientific reason: न केवल शास्त्र बल्कि विज्ञान भी मानता है महाशिवरात्रि का पर्व है खास

Friday, Mar 08, 2024 - 06:52 AM (IST)

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Mahashivratri scientific significance: महाशिवरात्रि का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। माना जाता है कि इस रात्रि ग्रह का उत्तरी गोलार्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मानव की आंतरिक ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाती है। मान्यता है कि यह ऊर्जा मनुष्य को आध्यात्मिक शिखर तक ले जाने में सहायक सिद्ध होती है इसलिए इस रात्रि में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का अत्यंत महत्व है।

पूजा के समय भक्त सीधा बैठता है तथा उसकी रीढ़ की हड्डी सीधी होती है। इसके कारण उसकी ऊर्जा उसके मस्तिष्क की ओर जाती है। इससे उसे शारीरिक ही नहीं, अपितु मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति भी प्राप्त होती है। भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः: शिवाय है। यह मंत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस मंत्र का संबंध पंच महाभूतों भूमि, गगन, वायु अग्नि एवं नीर से माना जाता है।

इस मंत्र का निरंतर जाप करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। इससे मनुष्य का आत्मबल भी बढ़ता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर कई स्थानों पर भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है। इसमें कलाकार शिव एवं पार्वती का रूप धारण करते हैं। बारात में सम्मिलित लोग शरीर पर भस्म लगाए होते हैं। वे नाचते-गाते हुए शिव एवं पार्वती के रथ के पीछे चल रहे होते हैं।


Shivratri is special for women महिलाओं के लिए विशेष है शिवरात्रि
शिवरात्रि का महिलाओं के लिए विशेष महत्व है। विवाहित महिलाएं व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु एवं सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि अविवाहित युवतियां भगवान शिव से अपने लिए सुयोग्य वर मांगती हैं। भगवान शिव को आदर्श पति के रूप में माना जाता है इसलिए युवतियां सुयोग्य वर के लिए सोलह सोमवार का व्रत भी करती हैं। मान्यता है कि सोलह सोमवार का व्रत करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।  

Niyati Bhandari

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