Mahashivratri 2020: एक ही बार में होंगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण, ऐसे करें शिव पूजा

Friday, Feb 14, 2020 - 01:07 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
चलो भोले बाबा के द्वारे, 
सब दुख कटेंगे तु्म्हारे।।

शिव चौदश की पावन रात यानि शिवरात्रि जिसे महाशिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में अधिक महत्व रखने वाली ये पवित्र तिथि पड़ती है फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतु्र्दशी को। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव+रात्रि का अर्थ शिव की रात। इस तिथि को शिव जी से इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव व माता पार्वती विवाह के बंधन मं बंधे थे। जिस कारण इस दिन का अधिक महत्व माना जाता है। शास्त्रों में इस दिन शिव जी के साथ-साथ देवी पार्वती की आराधना की भी अधिक विशेषता बताई है। शिव भक्त इस दिन कांवड़ से गंगाजल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक महाशिवरात्रि का व्रत महिलाओं के लिए खासा महत्व रखता है। खासतौर पर अविवाहित कन्याओं को लेकर मान्यता है कि अगर इस दिन वे विधिपूर्वक व्रत रखती हैं तो उनकी शीघ्र शादी हो जाती है। तो वहीं विवाहित महिलाएं अपने सुखद वैवाहिक जीवन के लिए भी इस व्रत का पालन करती हैं। बता इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी यानि शुक्रवार को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहां क्लिक करें। 

महाशिवरात्रि का महत्व: 
कुछ धार्मिक किंवदंतियों के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन शिव जी ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। जिस कारण इस त्यौहार को मनाने का एक कारण ये भी है। कहा जाता है जो महाशिवरात्रि के दिन व्रत करता है उसके जीवन से हमेशा के लिए पाप और भाग का नाश होता है। यही कारण है कि इस व्रत को समस्त व्रतों का राजा कहा गया है। 

इस दिन क्या करें-
इस दिन शिव जी की पूजन के दौरान किसी शुद्ध पात्र (बर्तन) में जल भर लें फिर उसमें गाय का दूध, बेलपत्र, धतूरे, अक्षत डालकर शिवलिंग पर चढ़ा दें। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर भगवान शिव जी का व शिवलिंग का दूध या गंगाजल से अभिषेक ज़रूर करें। एक साथ विभिन्न मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। महाशिवरात्रि पर शिव पूजा में सावधानी बरतने की अधिक आवश्यकता होती है। शिव पूजन के समय शिवलिंग पर भस्म चढ़ाना शुभ माना जाता है। शिव को बिल्व पत्र बहुत प्रिय होता है। इसलिए शिव जी को बेल का पत्ता (बिल्व पत्र) अवश्य अर्पण करना चाहिए। इसके अलावा शिव-पूजन में धतूरा का इस्तेमाल भी करना चाहिए।

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम्॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्।
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये॥३॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥
 

Jyoti

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