Mahashivratri 2019 : आज के दिन ज़रूर करें शिव की ये स्तुति, डर कर दूर भागेंगे आपके दुश्मन

Monday, Mar 04, 2019 - 10:12 AM (IST)

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हिंदू धर्म के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व एक ऐसा पर्व है, जो जातक की हर तरह की मनोकामना को पूरा करता है। तो जैसे कि सभी जानते हैं इस साल की महाशिवरात्रि 4 मार्च को यानि आज है। बता दें कि इस वर्ष की महाशिवरात्रि को अधिक खास माना जा रहा है। अब आप सोचेंगे कि इस बार की शिवरात्रि में ऐसा क्या खास है। अगर आप में से किसी ने इस बात पर गौर की होगी तो आप खुद ही समझ जाएंगे। जी हां, आप सही सोच रहे हैं, इस साल की महाशिवरात्रि सोमवार के दिन पड़ रही है।

कहा जा रहा है इस बार बहुत सालों के बाद शिवरात्रि का ये पावन त्यौहार सोमवार के दिन आई है। यही कारण है कि शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है। हर कोई इस दिन भगवान को खुश करना चाहते हैं तो वहीं कुछ लोग अपने कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हैं। ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि इस दिन त्रिपुरारी से जो मांगा जाए वो अवश्य प्राप्त होता है। आज हम आपको बताएंगे कि अगर आपके ऊपर आपके किसी शत्रु की बुरी नज़र हैं तो आपको इस दिव कौन सी स्तुति का पाठ करना चाहिए। इससे आपके शत्रु द्वारा की गई हर कोशिश नाकाम होगी और आप उसके हर प्रहार से बच सकें। तो चलिए देर न करते हुए जल्दी आपको बताते हैं इस चमत्कारी स्तुति के बारे में-

ज्योतिष के अनुसार शत्रु विनाशक स्तुति "रूद्राष्टकम" का पाठ, शत्रु से मुक्ति दिलाता है-
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अथ रुद्राष्टकम-

1- नमामीशमीशा न निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ॥ निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥

2- निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकालकालं कृपालं । गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥

3- तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं । मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ॥ स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥

4- चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ॥ मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥

5- प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ॥ त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं । भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥

6- कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी । सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ॥ चिदानन्दसंदोह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥

7- न यावद् उमानाथपादारविन्दं । भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् । न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥

8- न जानामि योगं जपं नैव पूजां । नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ॥ जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं । प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥

9- रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ॥। ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥

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Jyoti

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