Mahashivratri 2019 : जानें, महाशिवरात्रि का शुभ मुहुर्त और व्रत कथा

Monday, Mar 04, 2019 - 12:58 PM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्यौहार इस बार 04 मार्च 2019 यानि कल मनाया जाएगा। वैसे तो भगवान शिव के भक्त हर दिन ही उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन उनके भक्तों को महाशिवरात्रि का इंतजार बेसब्री से रहता है और वे इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस बार यह व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है और इसी वजह से इसका महत्व ओर बढ़ गया है। क्योंकि ये बात तो सबको पता है कि सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति महाशिवरात्रि का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ करता है, भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यह व्रत दो तरह से रखा जा सकता है, निर्जल और फलाहार। बहुत से लोग इस व्रत को निर्जल रखते हैं, लेकिन जो निर्जला व्रत नहीं कर पाते वे फलाहार भी रख सकते हैं। लेकिन व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और भावना के साथ करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं महाशिवरात्रि के शुभ मुहुर्त और इसकी व्रत कथा के बारे में-

शुभ मुहुर्तः
4 मार्च को शाम 04:28 से शुरू होकर 5 मार्च को सुबह 07:07 तक रहेगा।

प्राचीन काल की बात है। एक शिकारी जानवरों का शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था, लेकिन एक दिन उस शिकारी को किसी भी जानवर का शिकार करने का मौका ही नहीं मिला। अब क्योंकि उसके परिवार के पेट भरने का ये अकेला साधन था, इसलिए शिकारी ये सोच-सोचकर परेशान हो गया कि उसके परिवार को आज भूखे पेट सोना पड़ेगा। रात होते-होते शिकारी थक गया और जंगल में सरोवर के पास चला गया। वहां उसने अपनी प्यास बुझाई और एक बेल के पेड़ पर जाकर बैठ गया। शिकारी को पूरी आस थी कि अब इस सरोवर के पास कोई न कोई जानवर तो ज़रूर आएगा और शिकारी की उम्मीद पर पानी नहीं फिरा। थोड़ी ही देर में वहां एक हिरनी आई। हिरनी को देख शिकारी की खुशी का ठिकाना न रहा। उसने तुरंत अपना धनुष निकाला और वार करने के लिए तैयार हो गया लेकिन ऐसा करने के चलते, पेड़ के कुछ पत्ते नीचे पड़े शिवलिंग पर गिर गए। अब शिकारी इस बात से अवगत नहीं था कि उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग स्थापित था। पत्तों की आवाज सुन हिरनी सचेत हो गई और शिकारी को देखकर घबराते हुए बोली ' मुझे मत मारों '। लेकिन शिकारी उसकी बात को नजरअंदाज किया क्योंकि उसे अपने परिवार की भूख मिटानी थी। ये सुनकर हिरनी ने आश्वासन दिया कि अपने बच्चों को अपने स्वामी के पास छोड़कर वो वापस आ जाएगी। ये सुन शिकारी पिघल गया और उसे जाने दिया।

थोड़ी देर बाद सरोवर के पास एक और हिरनी आई। अब उसको देख शिकारी ने फिर से अपना तीर कमान निकाल लिया और तब पेड़ से बेल्व पत्र उसकी हलचल से शिवलिंग पर गिर गए। इस तरह शिकारी की दूसरे प्रहर की उपासना भी हो गई। अब शिकारी को देख, हिरनी ने दया याचना की और उससे आग्रह किया कि उसको न मारे, लेकिन फिर से शिकारी ने उसकी दया याचना को खारिच कर दिया। ये देख हिरनी बोली ' शिकारी, जो व्यक्ति अपने वचन का पालन नहीं करता उसके जीवन के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं। विश्वास रखो, मैं जरूर वापस आउंगी '। अब शिकारी ने इस हिरनी को भी जाने दिया। 

अब दो हिरणियों को छोड़ देने के बाद शिकारी को लगा आज उसका परिवार भूखा पेट ही सोएगा। लेकिन तभी एक हिरण आया। पहले की तरह शिकारी ने अपना तीर कमान निकाला और निशाने साधने लगा। इस प्रक्रिया में फिर कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरे और उसकी तीसरे प्रहर की पूजा भी पूरी हो गई। इस हिरण ने अब शिकारी से दया याचिका नहीं की, बल्कि कहा कि ये उसका सौभाग्य है कि वो किसी के पेट की भूख को शांत कर पाएगा। लेकिन उसने कहा कि वो पहले अपने बच्चों को उनकी मां के पास छोड़ कर आएगा। शिकारी ने उस हिरण पर विश्वास किया और उसे जाने दिया।

कुछ समय बाद शिकारी ने देखा की सभी हिरण उसकी तरफ बढ़ रहें हैं। उन्हें देख शिकारी ने अपना धनुष निकाल लिया और उसकी चौथे प्रहर की पूजा भी संपन हो गई, अब क्योंकि उसकी शिव की उपासना पूर्ण हो गई थी, उसका हृदय परिवर्तन हुआ और उसको बेजुबान जानवरों को मारने का अफ़सोस होने लगा और उसको एहसास हुआ कि जानवरों को मारकर वो अपने परिवार का पेट भरता है। ये गलत है, ऐसा कहकर उसने सभी हिरणों को वापस जाने को कह दिया।

शिकारी के ऐसा कहते ही भगवान शिव का दिव्य रूप प्रकट हुआ और उन्होंने उस शिकारी को यश, वैभव और ख्याति का आर्शीवाद दिया। उस शिकारी ने बिना किसी कठिन परिश्रम, सच्चे मन और अज्ञानता से शिवलिंग का पूजन किया। जिस वजह से भगवान शिव ने प्रकट होकर उसे सुखमय जीवन का वरदान दिया।
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