Mahashivratri: आज बनेंगे दुर्लभ योग, पढ़ें महाशिवरात्रि व्रत की पूरी जानकारी

Saturday, Feb 18, 2023 - 09:24 AM (IST)

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Mahashivratri 2023: इस पूरी सृष्टि के कष्टों का हरण करने वाले भगवान शिव को अति प्रिय व्रत है महाशिवरात्रि। यह व्रत हर वर्ष फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व आज 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा। चतुर्दशी तिथि का आरम्भ 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार को रात्रि 8 बजकर 5 मिनट पर आरम्भ होगा और 19 फरवरी 2023 को सायंकाल 4 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा। यह व्रत माता पार्वती और प्रभु शिव जी को समर्पित है। यह पर्व सनातन धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन शिवजी की विधिवत पूजा आराधना करने से भय, रोग एवं सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।



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Mahashivratri 2023 Shubh Yoga:
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर कुछ दुर्लभ योग भी बन रहे हैं। इस बार इस पर्व के साथ-साथ शनि प्रदोष व्रत भी है। जो कि संतान प्राप्ति यहां तक कि पुत्र संतान प्राप्ति के लिए विशेषकर किया जाता है, यह दुर्लभ योग 30 वर्ष के बाद बना है। इसी ही दिन कुम्भ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा एक साथ विराजमान हैं। इसी दौरान कालसर्प दोष या शनि की साढ़ेसति एवं ढैया के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करने के उपाय भी किये जा सकते हैं। इन तीनों ग्रहों के एकसाथ होने से जो यह त्रिग्राही योग बना है, इससे तीन राशियों को क्या लाभ होगा। आईये जानते हैं।

Significance and Astrological effect of Mahashivratri: मेष राशि के जातकों की अगर लंबे समय से कोई प्लानिंग चल रही है और वह पूरी नहीं हो रही तो आपको भगवान शिव की शरण में जाना चाहिए, तो वह प्लानिंग भविष्य में पूर्ण हो जाये, ऐसी कृपा आप पर हो सकती है।

वृश्चिक राशि के जातक के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार होगा जिससे कि उनके अधूरे कार्यों को करने के लिए पूर्ण माहौल की प्राप्ति होगी। आपको इस दिन पंचोपचार से शिवलिंग को स्नान करवाना चाहिए।

मकर राशि के जातकों की आय में बढ़ोतरी होने के योग बनेंगे। पारिवारिक सदस्यों के मध्य सामंजस्य बनेगा। कोई शुभ समाचार मिलने के योग बन रहे हैं।

कुम्भ राशि के जातकों के लिये यह पर्व यह दिन और भी शुभ है क्योंकि यह त्रिग्रही योग कुम्भ राशि में ही बन रहा है। आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी। विवाह के मार्ग में आ रही बाधाएं दूर होंगी। षोडशोपचार से रुद्राभिषेक करना चाहिए।



Maha shivratri Vrat Katha: इस दिन महाशिवरात्रि के व्रत की कथा भी अवश्य सुननी चाहिए ताकि आपको इसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। चित्रभानु नामक शिकारी की मोक्ष की कथा शिवपुराण में मिलती है। चित्रभानु अपने परिवार को पालने के लिये शिकार करने के लिये जंगल में जाता है और एक बेल के वृक्ष पर चढ़कर तीर कमान से निशाना साधे शिकार का इंतजार करता है। कुछ देर के पश्चात एक हिरणी पर निशाना तानता है तो वह हिरणी कहती है कि मैं गर्भवती हूं तथा मुझे जाने दो। बच्चे को जन्म देने के बाद मैं स्वयं ही तुम्हारे शिकार हेतु तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी। शिकारी को उस पर दया आ जाती है और वह उसे जाने देता है। इसी दौरान चित्रभानु बेल पत्र तोड़-तोड़कर नीचे फैंकता रहता है और नीचे एक शिवलिंग स्थापित होता है। जिस पर जाने-अनजाने वह बेलपत्र गिरते रहते हैं। इस प्रकार से एक प्रहर बीत जाता है।

थोड़ी देर में एक और हिरणी आती है और वह कहती है कि अपने पति को ढूंढ रही है जरा उन्हें ढूंढ लूं तो मैं स्वयं शिकार हेतु प्रस्तुत हो जाऊंगी। शिकारी बेल पत्र नीचे फैंकता रहता है तो इस प्रकार दूसरा प्रहर भी व्यतीत हो जाता है।

उसके बाद तीसरी हिरणी बच्चों संहित दिखाई दी तो हिरणी बोली कि बच्चों को उनके पिता के पास छोड़कर मैं स्वयं शिकार के लिये प्रस्तुत हो जाऊंगी। चित्रभानु ने उसे भी छोड़ दिया और बेल पत्र गिराता रहा। सारा दिन भूखा प्यासा रहा व सारी रात जागता रहा।



फिर एक व्याकुल हिरण आया और बोला अगर तुमने हिरणी और बच्चों को मार दिया है तो मुझे भी मार दो और अगर उन्हें जीवित छोड़ दिय है तो मुझे भी छोड़ दो, मैं अपने पूरे परिवार के साथ वापिस तुम्हारे शिकार के लिये प्रस्तुत हो जाऊंगा। हिरण ने चित्रभानु को विश्वाश दिलाते हुए कहा कि अगर वह मर गया तो हिरणिया अपना वचन पूर्ण नहीं कर पाएंगी। अगर तुम मुझे कुछ समय के लिये छोड़ दोगे तो मै पूरे परिवार सहित तुम्हारे समक्ष शिकार के लिये प्रस्तुत हो जाऊंगा।



यह सारा घटनाक्रम से चित्रभानु का हृदय परिवर्तन हो गया। सारी रात जागरण किया, बेलपत्र से चार प्रहर की शिव आराधना हो गयी, हिरण के परिवार को दान रूपी जीवनदान भी दिया। इस जाने-अनजाने कर्म के प्रभाव से शिव जी प्रसन्न हुए व वहीं पर प्रकट होकर चित्रभानु को दर्शन दिये। तब वहां पर हिरण परिवार भी शिकार हेतु प्रस्तुत हुआ। भगवान शिव के आर्शीवाद से उन सभी को भी शिवधाम व मोक्ष की प्राप्ति हुई।



Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

Niyati Bhandari

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