महर्षि दयानंद: पथ बदलो-परमात्मा मिल जाएगा

Wednesday, Aug 03, 2022 - 12:22 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महर्षि दयानंद एक तेजस्वी संत थे। चारों ओर उनकी अच्छी ख्याति फैल रही थी। सद् आचरण से उनका जीवन महक रहा था। उनके लिए जगन्नाथ नामक व्यक्ति भोजन बनाया करता था। वह दयानंद का विश्वासु व्यक्ति था। एक बार ईर्ष्यालु व्यक्तियों ने जगन्नाथ से कहा, ‘‘हम तुझे अपार सम्पत्ति देते हैं। तुम किसी तरह महर्षि जी को भोजन में जहर दे दो, जिससे सदा के लिए हमारा संकट मिट जाए।’’ जगन्नाथ ने पैसे के लोभ में स्वामी जी को दही में जहर मिलाकर दे दिया।

स्वामी जी ने दही खा लिया। खाने के पश्चात जहर ने अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ किया। स्वामी जी ने सोचा कि इसने मुझे जहर दिया है। लगता है, लोभ के कारण ही इसने ऐसा जघन्य कार्य किया है। अत: स्वामी जी ने उसे अपने पास बुलाया औरबहुत ही स्नेह से मधुर शब्दों में कहा, जगन्नाथ! मैं शीघ्र ही इस संसार से विदा हो जाऊंगा और तुम्हारा पाप प्रकट हो जाएगा। मेरे अनुयायी भक्तगण तुझे कष्ट देंगे। इसलिए तू यहां से अन्य स्थान को चला जा। जीवन निर्वाह के लिए यह दस हजार की थैली ले जाओ। अब जल्दी यहां से जाओ और सदा खुश रहना। 

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें
मालिक का स्नेह देख कर जगन्नाथ की आंखों में निरन्तर आंसू बह रहे थे। कहां मैं नीच प्राणी जिसने धन के लोभ में स्वामी जी के प्राण ले लिए और कहां स्वामीजी का जीवन जो मरते हुए भी मेरी भलाई के बारे में सोच रहे हैं। धन्य है स्वामीजी का जीवन और उनकी साधना। वह स्वामी जी के चरणों में गिरकर फूट-फूट रो रहा था। पश्चाताप की आग में जलकर वह पागलों की तरह प्रलाप करते हुए कह रहा था कि मैंने यह पाप क्यों किया? अपने पाप को बार-बार धिक्कार रहा था। पश्चाताप से उसका हृदय परिवर्तित हो गया था।

Jyoti

Advertising