Maharaja Agrasen Jayanti 2020: पढ़ें, महाराजा अग्रसेन जी की गौरव गाथा

Saturday, Oct 17, 2020 - 10:12 AM (IST)

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Maharaja Agrasen Jayanti 2020: लगभग 5143 वर्ष पूर्व एक महान विभूति ने जन्म लिया जिन्होंने जर्जर हो चुकी एकतंत्रीय प्रणाली को समाप्त कर एक ऐसी अनोखी एवं अनुकरणीय लोकतांत्रिक प्रणाली का श्रीगणेश किया और सभी वर्गों को संगठित कर युग प्रवर्तक अहिंसा के पुजारी, शांति दूत, अग्रवाल समाज के संस्थापक के रूप में महाराजा अग्रसेन के नाम से प्रसिद्ध हुए।  उस समय देश में राजवंशों की भरमार थी और निराशा का घोर अंधकार चारों ओर छाया हुआ था, महाराजा अग्रसेन ने समाजवाद तथा आदर्श लोकतंत्र की प्रकाश रश्मियां बिखेर कर जग में उजियारा किया।


Maharaja Agrasen Jayanti: सरस्वती के पावन किनारे बसे प्रताप नगर में सूर्यवंशीय भगवान राम जी की  35वीं पीढ़ी के राजा वल्लभ जी और महारानी माधवी के घर आश्विन शुक्ल प्रतिपदा (प्रथम नवरात्रा) को इनके जन्म लेते ही कुल पुरोहित गर्ग ऋषि जी ने घोषणा की कि यह बालक बहुत बड़ा शासक बन कर परिवार की ख्याति को चार चांद लगाएगा जो सही साबित हुई।


What is Agrasen Jayanti: जन्म से ही राजसी लाड़ प्यार से हुए लालन पालन ने अग्रसेन जी को तेजस्वी और शूरवीर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। युवा होते ही इन्होंने पिता जी के शासकीय कामकाज में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। बचपन से ही नीतिवान और दूरदर्शी होने का पूरा-पूरा लाभ राजकीय कामकाज कुशलतापूर्वक करने में मिला जिससे चारों ओर इनके राज्य की प्रशंसा होने लगी तथा इनकी दूरदर्शी नीतियों से दुश्मन भी दोस्त बनते गए।


Who is Maharaja Agrasen: यौवन की दहलीज पर पांव रखते ही पिता के आदेश से नागलोक के महाराज महीधर और महारानी नागेंद्री की पुत्री राजकुमारी माधवी के स्वयंवर में पहुंचे तो राजकुमारी ने इनकी सुंदरता और तेज  से प्रभावित होकर इनके गले में वरमाला डाल अपना पति बना लिया जिससे दो संस्कृतियों का मिलाप हुआ तथा इनके राज्य को और ताकत मिली।


Who is Maharaja Agrasen Jayanti: पिता के वृद्धावस्था में काल ग्रसित होने पर इन्होंने लौहगढ़ जाकर पिंड दान किया और वहीं स्वप्न में पिता का आदेश पाकर सरस्वती और यमुना के बीच एक स्थान पर विधि पूर्वक नए राज्य ‘आग्रेयण’ की स्थापना कर सभी को ‘जीओ और जीने दो’ का संदेश दिया और चारों ओर फैले घोर अंधकार में समाजवाद की ऐसी मिसाल कायम की जिसकी प्रकाश रश्मियों ने पूरे विश्व में उजियारा कर दिया।

महाराजा अग्रसेन जी ने अपने राज्य में बाहर से आकर बसने वाले या जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए सामाजिक समरसता एवं विश्व बंधुत्व की एक ऐसी पद्धति शुरू की जो पूरे विश्व में एक मिसाल बन गई। इस परंपरा के अनुसार उनके राज्य में बसने वाले जरूरतमंदों या बाहर से आकर बसने वालों को प्रत्येक परिवार एक सोने की मुद्रा और एक ईंट उपहार स्वरूप देता था ताकि वह ईंटों से रहने के लिए घर और मुद्राओं से कारोबार कर रोजी रोटी कमा अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर सके।

Agrsen Jayanti: इनके घर 18 पुत्रों ने जन्म लिया जिनका नामकरण विभिन्न ऋषियों के नाम पर हुआ और उनके नाम पर अग्रवंश के गोत्रों की स्थापना हुई जो आज भी गीता के 18 अध्यायों की तरह अग्रवंशियों को आपस में जोड़े हुए हैं। आपने मां लक्ष्मी की आराधना कर वर प्राप्त किया कि जब तक अग्र वंशज लक्ष्मी जी की उपासना करते रहेंगे तब तक वे धन धान्य से सम्पन्न रहेंगे। आपने यज्ञ में पशु बलि के स्थान पर नारियल की आहुति डालने का आदेश दिया जिसके कारण ही आज भी देश के 4 करोड़ के अग्रवाल समाज में अधिकतर लोग शाकाहारी अहिंसक और धर्म परायण हैं।

108 वर्षों तक कुशलता पूर्वक शासन करने के पश्चात कुलदेवी मां लक्ष्मी जी के आदेश से महाराजा अग्रसेन जी अपने बड़े पुत्र विभु को शासन का कार्यभार सौंप कर वानप्रस्थ आश्रम चले गए।

महाराजा अग्रसेन जी के वंशज आज अग्रवाल के नाम से पूरे विश्व में जाने जाते हैं तथा इस समाज की कई विभूतियों ने अपने कार्यों से अग्रवाल समाज का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है जिनमें महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय जी, डा. राम मनोहर लोहिया, सर गंगा राम, मैथिली शरण गुप्त, सर छोटू राम, भारतेंदु हरीश चंद्र, महात्मा गांधी और सेठ जमना दास प्रमुख हैं।

Where does Maharaja Agrasen Jayanti live: भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर अग्रोहा, अग्रवालों के तीर्थ के रूप में विकसित हो रहा है जहां 1995 में स्वयं उस समय के प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा जी ने पधार कर 1000 बिस्तरों के अस्पताल का नींव पत्थर रख समाज को सम्मान दिया। अग्रोहा को अग्रवाल समाज द्वारा देश के 5वें तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है जहां प्रतिदिन देश और विदेशों से हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

 

 

Niyati Bhandari

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